Book Title: Samyag Darshan Part 01
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 336
________________ www.vitragvani.com सम्यक्त्व की महिमा श्रावक क्या करे ? हे श्रावक! संसार के दुःखों को क्षय करने के लिये परमा शुद्ध सम्यक्त्व को धारण करके और उसे मेरुपर्वतसमान निष्कम्प रखकर उसी को ध्यान में ध्याते रहो !.. ( — मोक्षपाहुड- ८६ ) सम्यक्त्व से ही सिद्धि अधिक क्या कहा जाये ? भूतकाल में जो महात्मा सिद्ध हुए हैं और भविष्यकाल में जो होंगे, वह सब इस सम्यक्त्व का ही माहात्म्य है – ऐसा जानो । ( - मोक्षपाहुड- ८८ ) शुद्ध सम्यग्दृष्टि को धन्य है ! सिद्धिकर्ता - ऐसे सम्यक्त्व को जिसने स्वप्न में भी मलिन नहीं किया है, उस पुरुष को धन्य है, वह सुकृतार्थ है, वही वीर है और वही पण्डित है । ( — मोक्षपाहुड-८९ ) सम्यक्त्व के प्रताप से पवित्रता श्री गणधरदेवों ने सम्यग्दर्शन- सम्पन्न चाण्डाल को भी देवसमान कहा है। भस्म में छुपी हुई अग्नि की चिनगारी की भाँति वह आत्मा, चाण्डाल देह में विद्यमान होने पर भी, सम्यग्दर्शन के प्रताप से वह पवित्र हो गया है, इससे वह देव है । ( - रत्नकरण्ड श्रावकाचार - २८ ) Shree Kundkund - Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.

Loading...

Page Navigation
1 ... 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344