Book Title: Samyag Darshan Part 01
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
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सम्यग्दर्शन : भाग-1]
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सामान्य-विशेष :
द्रव्य का अर्थ है वस्तु; और वस्तु की वर्तमान अवस्था को पर्याय कहते हैं । द्रव्य अंशी (सम्पूर्ण वस्तु) है और पर्याय उसका एक-अशं है। अंशी को सामान्य कहते हैं और अंश को विशेष कहते हैं। इस सामान्य-विशेष को मिलाकर वस्तु का अस्तित्व है। सामान्य-विशेष के बिना कोई सत् पदार्थ नहीं होता। सामान्य ध्रुव है और विशेष उत्पाद-व्यय है- 'उत्पाद-व्यय-ध्रौव्ययुक्तं सत्' ।
जो वस्तु एक समय में है, वह वस्तु त्रिकाल है, क्योंकि वस्तु का नाश नहीं होता, किन्तु रूपान्तर होता है । वस्तु अपनी शक्ति से (सत्ता से-अस्तित्व से) स्थिर रहती है, उसे कोई परवस्तु सहायक नहीं होती। यदि इसी नियम को सरलभाषा में कहा जाये तो - एक द्रव्य दूसरे द्रव्य का कुछ भी नहीं कर सकता।
- अन्त में - प्रश्न - यह सब किसलिए समझना चाहिए?
उत्तर - अनादि काल से चला आ रहा है - ऐसे अनन्त दुःख के कारण एवं महापापरूप मिथ्यात्व को दूर करने के लिए यह सब समझना आवश्यक है। यह समझ लेने पर आत्मस्वरूप की यथार्थ पहिचान हो जाती है और सम्यग्दर्शन प्रगट हो जाता है तथा सच्चा सुख प्रगट हो जाता है; इसलिए इसे भलीभाँति समझने का प्रयत्न करना चाहिए।
Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.