Book Title: Samyag Darshan Part 01
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
View full book text
________________
www.vitragvani.com
सम्यग्दर्शन - प्राप्ति का उपाय
जय अरहन्त!..... (प्रवचनसार की 80वीं गाथा पर पूज्यश्री कानजीस्वामी
का प्रवचन)* आचार्यदेव कहते हैं कि मैं शुद्धोपयोग की प्राप्ति के लिये कटिबद्ध हुआ हूँ, जैसे पहलवान (योद्धा) कमर बाँधकर लड़ने के लिये तैयार होता है; उसी प्रकार मैं अपने पुरुषार्थ के बल से मोहमल्ल का नाश करने के लिये कमर कसकर तैयार हुआ हूँ।
मोक्षभिलाषी जीव अपने पुरुषार्थ के द्वारा मोह के नाश करने का उपाय विचारता है। भगवान के उपदेश में पुरुषार्थ करने का कथन है। भगवान, पुरुषार्थ के द्वारा मुक्ति को प्राप्त हो चुके हैं और भगवान ने जो उपाय किया, वही उपाय बताया है, यदि जीव वह उपाय करे तो ही उसे मुक्ति हो, अर्थात् पुरुषार्थ के द्वारा सत्य उपाय करने से ही मुक्ति होती है, अपने आप नहीं होती।
यदि कोई कहे कि - "केवली भगवान ने तो सब कुछ जान लिया है कि कौन-सा जीव कब मुक्त होगा और कौन जीव मुक्त नहीं होगा? तो फिर भगवान, पुरुषार्थ करने की क्यों कहते हैं?"
"नोट- यह प्रवचन, पूज्य गुरुदेवश्री की उपस्थिति में सोनगढ़ से प्रकाशित सम्यग्दर्शन, भाग-1 हिन्दी में प्रकाशित हुआ है। आत्मधर्म के तीसरे वर्ष के अंक में भी यह प्रचन उपलब्ध है। गुजराती प्रकाशन में यह प्रवचन नहीं है, किन्तु बोल के रूप में यह विषय वस्तु दी गयी है। –सम्पादक
Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.