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___ मुंहता नैणसीरी ख्यात कोहर छै । त, अरजुननें कह्यो “अटै वडो पांणीरो कुंड तळसीर छ ।
ओ वचन छै ।" नै ईसे कह्यो-"उठे म्हारी डोहळी, कपूरदेसरी पाळ हेठे, तिण कपूरदेसर माह सिला १ लंबी फलांणी ठोड़ छै, सु थे उठ जाय, वा सिला उथळ देखो, उण बांस लिखियो छै सु करीजो' । उठै वडो गढ हुसी । लंकारै आकार तिखूगो करज्यो । थांहरै घणी पीढी रहसी। वडो अगजीत दुरंग हुसी ।" पछ जेसळ कारीगरां सारांनूं ले ॐ प्रायो। सिला वताई थी सु उलट दीठी । उण हे लिखत नीसरियो - दूहो- "लुद्रवा हूंती ऊगमण, पांचै कोसै मांम ।
ऊपाड़े प्रो मंडज्यो, तिण रह अम्मर नाम ॥१ .
वात
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वांभण ईसारै कहै रावळ जेसळ कपूरदेसररी पाळ कनै रडीसी थी उण कुंडरा पांणो ऊपर संमत १२१२रा सांवण वद १२ अादीतवार मूळ नखत्र रावळ जेसळ जेसळमेररी रांग'' मंडाई । थोड़ो-सो कोट, आथवण दिसली प्रोळ तयार हुई । वरस ५ पछ रावळ जेसळ काळ कियो । पाट रावळ सालवाहन जेसळरो बैठो। अांक २।
रावळ सालवाहन जेसळरो । जेसळ पछै जेसलमेर पाट वैठो। सालवाहण निपट वडो ठाकुर हुवो । जेसळमेररो गढ जेसळ मंडायो थो पण गढ, मोहल, प्रोळ कोहर सारो काम सालवाहण करायो । जेसळमेर. सालबाहण वडो करमप्रसाद धणी हुवो । घणी धरती नवी
___[ और उसमें जेसलू नामका मुख्य और बड़ा कूप है। 2 तल-स्रोत वाला। जिसमें तल-स्रोतका अपार पानी हो । 3 दान में दी हुई भूमि । 4 अमुक । 5 उसके पीछे जो लिखा हुया है उसके अनुसार करना। 6 लंकाके त्रिकोण गड़के आकारमें बनवाना। 7 किसीसे . नहीं जीता जाने वाला वह दुर्ग होगा। 8 जिसको स्थल करके देखा। 9 उसके नीचे यह लिखा हुआ निकला। 10 लुद्रवासे पांच कोस पूर्व दिशामें जो स्थान है उसके पास यह गढ़ बनवाना, जिससे नाम अमर हो जायगा। II पथरीली ऊंची भूमि । 12 नींव । 13 पश्चिम दिशा वाली। ' 14 जैसलमेरका गढ जेसलने बनवाना शुरू किया था किन्तुगढ़, महल, पोल ... और कुएं प्रादि दूसरा सारा काम शालिवाहनने बनवाया था। IS भाग्यशाली।।