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मुंहता नैणसीरी ख्यात .
[ ६७ १८ गोकुळदास।
बेटी परणी थी। पछै मालदे १९ सबळसिंघ । १६ रतन। वेगोहीज मुंो । नै वा पीहर १७ केसोदास सहसमलरो। थी। पछै वा गजनीखांन
संमत १६५६ अोयसां विहारीनूं दीवी थी जाळोररा पटै ।
धणीनूं । तिण दावै रावळ १८ रुघनाथ ओयसां पटै।
हरराज भाटी खेतसीनूं मेल १७ किसनसिंघ सळीवै काम
राड़धरो मारायो, कोट आयो । बीकानेररो
पाड़ायो, ने ईंटा जेसळमेर ले चाकर।
गया। कोटड़ो जोधपुर वांस १८ कल्याणदास, सीळवै
थो सु रावळ हरराज जेसळ मेर कांम प्रायो।
वांस घातियो । पोकरण १८ प्रथीराज सीळवै काम प्रायो। केसरीसिंघरो
अडाणी ली, राव चन्द्रसेण चाकर।
कन्हा। कोटड़ा पगा रावळ १८ गिरधर ।
मेघराजसू वेढ हुई । मास ६ १६ रावळ हरराज माल- प्रांमां-सांमां अरवरिया, पछै देवरो। रावळ मालदे पछै टीकै बेटी परणाई । गांव ७ बैठो । वरस १६ दिन १८ राज कोटड़ारा लिया, कोटड़ो दियो । जेसळमेर कियो । राड़धरै
१ अोलो। १ वणाडो। रावळ मालदे रावत पातारी
१ डोगरी। १ वींझोराई। ___केशोदास सहसमलका वेटा । सम्वत् १६५६में प्रोयसां गांव पट्टेमें। 2 किशनसिंह बीकानेर राजाका चाकर, सोलवेकी लड़ाईमें काम आया। 3 केसरीसिंहका चाकर पृथ्वीराज सीलकी लड़ाईमें काम आया। 4 मालदेवका पुत्र रावल हरराज, मालदेवके बाद गद्दी पर बैठा और १६ वर्ष और १८ दिन जैसलमेरका राज्य किया। 5 रावल मालदेवने राड़धरेके रावत पाताकी बेटीसे विवाह किया था। विवाहके बाद मालदेव चल्दी ही मर गया था और तब उसकी पत्नी पीहरमें ही थी। पीहर वालोंने उसे जालोरके स्वामी विहारी गजनीखां पठानको देदी थी। 6 इस कुकृत्यके बदले में रावल हरराजने भाटी खेतसीको भेज कर राड़धरेका विध्वंस कराया। 7 वहांका कोट गिरवा दिया और उसकी ईटें जैसलमेर ले गया। 8 कोटड़ा गांव जोधपुर राज्यका था जिसे रावल हर राजने जैसलमेर राज्यमें मिलाया। 9 राव चंद्रसेनके पाससे पोकरणको अपने यहां रेहन रखा। 10 कोटड़ाके लिये रावल मेघराजसे लड़ाई हुई। ६ मास तक परस्पर भिड़ते रहे। फिर अपनी लड़कीका विवाह कर पीछा छुड़ाया। II कोटड़ा तो दिया ही, पर कोटड़ाके ये ७ गांव उसने और ले लिये।