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___ मुंहता नैणसीरी ख्यात . [ २६१० घोड़ा, खेड़रा ऊपना रजपूत छो। बोलो क्युं नहीं छो ? रावळजी कहै छै'।' ताहरां रजपूत बोलिया। कह्यो-'जी, प्रागै हेमै ऊपर बीड़ो उठावणो छै । अर बूंघरोटरा पहाड़ छ । थेई कुंभाजी बोलो नहीं, पाटवी कुंवररा बेटा छो ।' ताहरां कूभै कह्यो-'वाह ! वाह !' ताहरा कुंभ ऊठनै रावळ मालैजीनें सलाम करनै कह्यो-'बाबाजी ! आगै हेमै उजाड़ कियो, हिवै हेमो उजाड़ करै सो कुंभो इग्यारह गुणो सोळे ।।' ताहरां रावळजी बोलिया-'साबास ! कुंभा !' हूं जांणतो हुतो, तू हेमा ऊपर बीड़ो उठाईस । ताहरां रावळ मालजी आपरी कटारी तरवार कूभनें बंधाई। कूभै ऊपर राजी हुवा । प्रापरी असवारीरो घोड़ो बगसियो । आप जीव सोरो कियो । कुंभो बाहुड़ियो, ताहरां बांस रजपूत हसण लागा । 'जांणां छां कुंभोजी नांनाणे जाइ अर हुड़ियांरै माथै कटारी भांजसी" ।' आ कुंभ खबर हुई । 'रजपूत वांस हसण लागा।' युं करतां रावळजी देवगत हुआ। रावळजीरो कृत कियो । जगमालजी टीकै बैठा । हेमै पण आ वात सांभळी10 । रावळ मालोजी विसरांमियो'1 । अर आप फुरमायो जु-'हेमो आवसी ताहरां ?' भै सलाम कीवी-'हेमो हूं पालीस' ।' ताहरां हेमो पण बैस रह्यो। हेरा लगाइ फीटा किया। जु 'कुंभो कठैई जावै अर
___I ठाकुरो ! आप कोई बोलते ही नहीं। खेड़ जैसी वीरप्रसू धरामें पाप उत्पन्न हुए हैं। आपके घोड़े भी खेड़में ही उत्पन्न हुए हैं, फिर भी आप क्यों नहीं बोल रहे हो ? रावलजी आपको पूछ रहे हैं। 2 तव राजपूतोंने कहा-पागे हेमेके ऊपर बीड़ा उठाना है (कोई ऐसा-वैसा व्यक्ति नहीं है) और जहां घूधरोटके पहाड़ हैं । आप भी कुभाजी बोल नहीं रहे हो; आप तो पाटवी कुवरके पुत्र हैं। 3 पहले तो हेमाने जो उजाड़ किया सो तो कर ही दिया, किन्तु अब यदि उजाड़ करेगा तो कुंभा उसका ग्यारह गुणा भरेगा। 4 मैं जानता था कि तू हेमाके ऊपर बीड़ा उठायेगा। 5 स्वयंको (मालाजीको) संतोष हया। 6 कुभा जब वहांसे लौट गया तो पीछे राजपूत हंसने लगे। 7 जानते हैं, यह ननिहाल जाकर भेड़ोंके ऊपर अपनी कटारी तोड़ेगा । अर्थात् हेमेके विरुद्ध इसका कुछ कर सकना असंभव बात है। 8 इस प्रकार रावलजी देवगतिको प्राप्त हुए (मर गये)। 9 मृतक संस्कार और भोज आदि किये गये। 10 हेमेने भी यह बात सुनी। II कि रावल मालाजी स्वर्ग पहुंच गये । '12 हेमाको मैं रोगा। 13 तब हेमा भी चुप रह गया और धावे बोलने बंद कर दिये।