Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 02
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 303
________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २६५ कूंभो जगमालोत नहीं छै' ?' ताहरां कह्यो - 'कूंभो हूं छू ।' कह्योतूं हेमैरे वांसै चढियो' छ ?' कह्यो - 'होवै ।' ताहरां पणिहार को'हेमो तो घरै गयो हुसी ।' कह्यो - 'रे वीरा ! तू पुरख में रतन, हेमैरै वांसै कांई जाय ? हेमो तो जमरी दाढां मांहै छै । जो जरडां इण तैरो कासूं मारणो' ? तूं पूठो जा' । वळे आयो रहसी' | कह्यो - 'जी म्हें रावळजीनूं बोल दियो छे । ताहरां पग-पगे हालिया " । कोस दोयइक पर जावै तो हेमो उतरियो छै"। साथ उतरियो छै । संखड़ी श्रणाई छे" । बैठा रजपूत खावे छे। हेमो डोरड़ो गावै छ । 'लाडा ! थारै डोरड़े वीस गांठ हो' 2 9 10 3 14 5 युं गावतां कुंभ आयो। कह्यो- 'जीं, साथ ! साथ ' " ! ' युं कहतां पैहली जाय ऊभा । ताहरां हेमो बोलियो - 'साबास, सावास ! कुंभा साबास तोनूं ! म्हारो तें पूठो दाबियो ! साबास सपूत ! ' इतरै रायसिंघ प्रायो । ताहरां हेमो बोलियो - कूंरंभा ! मालांणा ! कटक वाळा वनोड़ा मतां नांखै ? साइयां मिळो" ।' ताहरां कुंभो घोड़े हूं" उतरियो । ताहरां रायसिंघ बोलियो - कूभा ! क्युं उतरे ? म्हारा हाथ देख । सिगळाहीनूं कबूतर दाई वींधूं" ।' ताहरां कूं भो 7 18 I भाई ! तू कुंभा जगमालोत तो नहीं है ? 2 तू हेमेके पीछे चढ़ कर आया है ? 3 हां 1 4 भाई ! तू पुरुषोंमें रत्न; हेमेके पीछे क्या जाय ? यह तो यमकी डाढ़में ही है ? 5 मरे हुएको क्या मारना ? 6 तू लौट जा । 7 यह तो फिर कभी ग्राया रहेगा । 8 मैंने रावलजीको वचन दिया है। 9 तब उसके खोज सम्हालते-सम्हालते चले | 01 कोस दो-एक परे जाते हैं तो ( देखते हैं कि ) हेमा अपना डेरा लगाए हुए बैठा है । II मिठाई आदि भोजन-सामग्री मंगवाई गई है । 12 हेमा 'डोरड़ा' गा रहा है - 'लाडा ! पारं डोरड़े बीस गांठ हो = हे दूल्हे ! तेरे विवाह सूत्र में बीस गांठें हैं।' 'डोरड़ा या कांकरण-डोरड़ा' = विवाह के पूर्व दूल्हे और दुलहिनके हाथमें बांधा जाने वाला एक मांगलिक सूत्र है जिसमें गांठें दे कर कई मांगलिक वस्तुएं बांधी जाती हैं । डोरड़ाके लोक-गीतों में विवाह सूत्रमें बँध जाने के उत्तरदायित्व पर बड़ा ही महत्वपूर्ण प्रकाश डाला गया हैं । 13 हेमा के साथियों ने कहा'हमला ! हमला !' साथ = (१) हमला, ( २ ) सेना, (३) मनुष्य, (४) साथी । 14 वे यों कह ही नहीं पाये थे, जिसके पहिले ही ऊपर जा खड़े हो गये । 15 मेरा पीछा तूने किया । 16 तब हमने कहा- हे कुभा ! हे मालागा ! तेरे साथ वालोंको व्यर्थमें क्यों वीचमें डालता है ? ग्रपन ही निपट लें। 17 से 18 मेरे हाथ देख, अभी सबको कबूतरोंकी भांति बींध लूंगा ।

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