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॥ श्री गणेशाय नमः ॥ वात रावजी चूडैजीरी लिख्यते
चूंडैजीनू धाय लै अर पाल्है चारणरै घरै काळाऊ गांव जायनै रही। आल्हैनू कह्यो'-'बाई जसहड़ सती हुतां थांनू आसीस कही छै, अर कह्यौ–'ईयै लड़कनू भली भांत राखज्यो, कहीन ... जणावो मतां । थांहरै खोले दियो छ ।' ताहरां आल्हो लोकांनू... कहै-'ईयै रजपूतांणीरो बेटो छै'; आय रही छै ।' उठ चूंडेजीनू धाय पाऊँ । केहीनू कह नहीं–वीरमजीरो वेटो छै । ज्यौं वरसां ८-६ रो हुवो-फिरियो टावरां माहे रमै । ___एक दिन वरसातरा दिन छ । सु केरड़ा जंगळ मांहै उछर गया । केरड़ां वाळा नीसर गया । चारण रा केरड़ा घरै रह गया । ताहरां चारणरी मा बोली-'बेटा चूंडा ! केरड़ा आघेरा जंगळ मांहै. टोघड़ा चरै छ, तियां मां भेळ प्राव' ।' ताहरां चूंडो केरजा ले अर.. भेळण गयो । केरड़ा कठे ही लाधा नहीं । ताहरां आप चरावण लागो । तितरै चारण घरै आयो13। चूंडो घरै नहीं छै । ताहरां चारण पगैपगै तेड़ण हालियो। कहियो-'मा वुरो कियो। चूं.नू मेलणो न हुतो ।' आगे चूंडै केरड़ा जंगळमें ऊभा कर नै पाप रूंखरी छांह सोय रह्यो । ताहरां सरप विल मांहैसू नोसर नै16 चूंडैरै ...
1 धाय हाजीको लेकर कालाऊ गांवमें ग्राल्हा चारणके घर पर जाकर रह गई। 2 पाल्हाको कहा। 3 जमहड़ बाईने सती होनेके समय तुम्हें याशिष कहा है और कहा है कि- 'इस लड़के को भली भांति रखना । किसीको मालूम नहीं होने देना। तुम्हारी गोदमें . (रक्षणमें) दिया है। . 4 इस राजपूतानीका लड़का है। 5 वहां पर वाय चूंडाजीका पालनपोषण कर रही है और किसी पर यह जाहिर नहीं होने देती कि-'यह वीरमजीका पुत्र है।' 6 अब जबकि चूंदाजी ८-६ वर्षका हो गया; वच्चोंके साथ फिरता हुअा खेलता है। 7 बछड़े.... तो जंगल में बैंक गये। 8 चारणके बछड़े घर पर रह गये। 9 तव चारणकी मां ने कहा'बेटा चंदा । इन बछड़ोंको दूर जंगलमें जहां बछड़े चर रहे हैं, उनमें शामिल कर अायो।' 10 तब चंद्रा बछड़ोंको उनमें शामिल करनेको ले गया। II बछड़े कहीं मिले नहीं । 12 स्वयं चराने लग गया। 13 इतने में चारण घर पर प्राया । 14 तव चारण ... पदानुशरण करता हुआ उसे बुलाने गया। 15. चूंडा बछड़ोंको जंगलमें (एक जगह) खड़े । कार ने स्वय एक वृक्षको हावाके नीचे सो गया। 16 निकाल कर के ।