Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 02
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 350
________________ ३४२ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात एक लाततूं मारियो । जणा तीन मारिया । रिणमलजी काम आयो। ___ ताहरां छोकरी मोहल चढि पुकारी- राठोड़ा ! थांहरो रिणमल मारियो । ताहरां तळहटी सुणियो । ताहरां जोधो, कांधळ, बीजो ही साथ सरव चढ नींसरियो। वासै फोज आई। लड़ाई हुई। कितराएक ठाकुर कांम पाया। चरड़ो चंद्रावत काम प्रायो। सिवराज, पूनो, ईंदो, भाटी, विजो । चरडे साद कियो-'वडा विजा !' ताहरां एक बीजो विजो हुतो, तिको वोलियो-'फाड़-फाड़ मुंहड़ो, . ... - आप मरतां बीजा ई नूं ले मरै ।' ताहरां चरड़ों बोलियों-हूं तोनूं नहीं कहूं छू ; हूं विजै ईंदै कहूं छ, कस्तूस्यैि मृघनूं, ऊगमडैरै पोतरै-.... नूं।" प्रोथ विजो ईदो चरडैरै कनै काम आयो। भीमो, वैरसल, .... वरजांग भीमावत काम आया । भीमो चवंडावत पकड़णी प्रायो।' मांडळरै तळाव घोड़ानूं पांणी पायो, ताहरां एक तरफ जोधो नै सतो दोनूं हुता । दोय असवार घोड़ा पावता हुता । एका तरफ कांधळ घोड़ो पावतो हुतो । ताहरां कांधळ एकल असवारै घोड़े पावतांनूं वतळायो । ताहरां जोधै कांधळरो साद अोळखियो ।11 तोहरां जोधै कांधळनं बोलायो । बेऊ भाई एकठा हुवा । जोधे कांधळ रावतपणैरो टीको दियो।13 अ ठाकुर मारवाड़ माहै आया। I उस समय राव रिणमलने उस हालतमें सोते-सोते ही एक राजपूतको तो. कटारीसे, एकको लोटेसे और एकको लात मार कर मार दिया, तीन जनोंको मार दिया। 2 तब .. दासी महल पर चढ कर पुकारी- राठोड़ो ! तुम्हारा रिणमल मारा, गया है। 3 तव .... जोषा और कांधल आदि दूसरा सव ही साथ सवार हो कर वहांसे भाग निकले। 4 उनके ... पीछे फौज चढ कर पाई, लड़ाई हुई जिसमें कितने ही. ठाकुर काम आ गये। 5 चरडेने ... आवाज दी-'अरे यो ! बड़ा विज़ा !' 6 तब एक दूसरा. विजा था सोः बोला-'मुंह फाड़फाड़ कर क्यों वकता है, खुद मरताः हुआ दूसरोंको भी ले मरता है ? 7 तव चरड़ेने कहा-मैं तुझको अावाज नहीं दे रहा हूँ, कस्तुरीमृग वाले ऊगमड़ेके, पोते. विजा. ईदेको पुकार रहा हूँ। 8 वहां चर के पास विजा इंदा तो काम प्राः गया. था। 9; भीमा चूंडावत पकड़ा गया.। 10 तब कांधलने घोड़ेको पानी पिलाते हुए एक सवारको बतलाया । . II तव जोधेने कांधलकी आवाज पहिचान ली । 12: दोनों भाई मिले। 13: जोधेने वहीं .. :: कांधलको रावताईका टीका दे दिया । 14 फिरः ये सभी ठाकुर मारवाड़में आ गये। . . . . .

Loading...

Page Navigation
1 ... 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369