Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 02
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 342
________________ ३३४ । मुंहता नैणसीरी ख्यात 'पुराणोई चंदण, नवो कुकाठ' ! कासू करणो छै ? दीवांणनूं परणावो' । ताहरां रिणमलजीनें ...... चांदण नीठ पग किया । तुरत दीवांण नाळेर मेलियो ।, दीवांण पधारिया। तियेहीज दिन दीवांणन परणाया। बडा हीड़ा किया । दीवांण परणियां पछै तेरह मासे मोकल जायो । जाहरां पांच वरसरो मोकल हुवो; ताहरां दीवांण विसरांमियो' । ताहरां सतियां नीसरी। ताहरां राठोड़ सती हुवणरी तयारी कीवी । ताहरां चवंडोजी जाय पगै पड़ने कह्यो –'माजी ! यो काखू करो छो ? थे तो राजवाईरो टीको पावस्यो ।' ताहरां कह्यो-'थां चवंडो छै तठे म्हारै वेटैनूं टीको कठा हुसी1° ?' ताहरां चवंडै कह्यो-'माजी ! टीको मोकलरो छै । हूं मोकल रो चाकर छू।' __ताहरां चवंडै मोकलनूं तेडिनै आपरा माथारी पात्र मोकलरै माथै म्हेली। मोकलरी पाघ आपरै माथै म्हेली । अर मोकल चवंडे सलाम की12 । सारां अमरावां मोकलनं सलाम कीधी। ताहरां मोकलरी मा चवंडै दवा दीन्ही । कह्यो-'चवंडै कियो ज्युं को करै नहीं। या चीतोड़री साहिबी तैं मोकलनूं दीन्हीं । और जे हूं I पुराना होने पर भी चंदन, चंदन ही कहलाता है, वह काष्ठ नहीं कहलाता, परंतु दूसरा काष्ठ नया ही क्यों न हो, वह कुकाठ है, उसमें कोई सुगंध नहीं होती। 2 सोचना क्या है ? दीवान को व्याह दो। 3 चाँदरणने रिणमलजीको बड़ी मुश्किलसे तैयार किया। 4 तुरंत ही दीवानको नारियल भेज दिया गया। 5 उस ही दिन दीवानको व्याह दिया और खूब सेवाचाकरी की। 6 दीवानके विवाह करनेके १३ मास वाद मोकलका जन्म हुआ। 7 मोकल. . जब पांच वर्षका हुया तब दीवान घाम पहुँच गये। 8/9 उस समय जब स्त्रियां सती . .. .. होनेको निकलीं तो उनमें मोकलकी मा (रिणमलजीकी पुत्री) राठौड़ रानीने भी सती होनेकी ... तैयारी की। तव चूडेने उसके पांवों गिर कर कहा--'माताजी! आप यह क्या कर रही हैं ? . . आप तो राजमाताका सम्मान प्राप्त करेंगी।' 10 'चूंडा ! तुम मौजूद हो तो मेरे वेटेको टीका कहांसे होगा ?' II 'माताजी ! टीका मोकलको मिलेगा, मैं तो उसका सेवक हूँ।... 12 तव चूंडेने मोकलको बुला कर अपने सिरको पघड़ी उतार कर मोकलके सिर पर ...... रख दी और मोकलंकी पघड़ी अपने सिर पर रख दी और फिर चूंडेने मोकलको प्रणाम किया। .. 13 उस समय मोकलकी मांने चूंडेको आशिप दी। 14 राठोड़ रानीने कहा-'चूंडा ! तूने जो काम किया है वैसा कोई नहीं कर सकता, यह चित्तौड़का राज्य तूने मोकलको दे दिया।

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