Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 02
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 344
________________ ३३६ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात लेहीज प्राया । ढूंढाड़ मांहै प्रायने उठे पूरणमलनूं भक्ति कर घोड़ो दै र विदा कियो' | कह्यो - 'म्हां कनां घोड़ो युं लीजै । ज्युं थां लेणो मांडियो त्युं न लीजै । पछै रिणमलजी नागोर प्रायो । जाहरां राव चूंडोजी कांम ग्राया, ताहरां टीको रिणमलजीनं हुवो। ताहरां रावजीरो जीव हुतौ जु'कान्हैनूं टीको देज्यो' ।' ताहरां रिणमलजी कान्हैनूं नागोर दियो । सतैनूं राव चूंडे मंडोर पैहलीहीज दियो हुतो । रिणमलजी सोभत रहता, रावजी दियो हुतो' । 1 ताहरां भाटियां सूं वैर । सु रोज चढै, धरती भाटियांरी मारै'। ताहरां भुजो संढायच प्रधान वरणाय भाटियां म्हेलियो । ताहरां भुजै राव रणमलजीनं गुण को " । ताहरां राव रिणमलजी को - 'हमें न मारूं'" ।' ताहरां भाटियां राव रिणमलजीनूं परणाया राव जोधो भाटियांरो दोहितो " । :12 13 14 ताहरां राव रिणमल, जो नरबदसूं वेढ कीवी' । ताहरां नरबद घावै पड़ियो । एक आंख फूटी । तीर लागो" । रजपूत कांम आया । रिणमलजी मंडोवर लोधी ' " । मडोवर मांहै सतो हुतो । 6 1/2 ढूंढाड़ में आकर के * वहां पूर्णमलको भोजन आदि की खातिर कर के और उस घोड़ेको देकर उसे अपने घर रवाना किया और कहा कि हमारे पाससे घोड़ा इस प्रकार लिया जाता है, जिस प्रकार तुमने लेनेका इरादा किया था उस प्रकार हमारा घोड़ा नहीं लिया जा सकता ।' 3/4/5 जब राव चूंडोजी काम श्रां गये तो राज्य तिलक रिणमलजीको हा | परन्तु रावजीने यह इच्छा प्रकट की थी कि टीका कान्हाको देना, ग्रतः रिणमलजी ने ( अपना अधिकार त्याग कर ) कान्हाको नागोर दे दिया 1 6 सत्तेको राव चंडेने पहिले ही मंडोर दे दिया था | 7 राव चंडाजीने रिगमलजीको सोजत दे रखा था, सो वे सोजत में रहने लग गये । 8/9 उन दिनों में भाटियोंसे शत्रुता चल रही थी, सो हमेशा चढाई कर के भाटियों के देश में विगाड़ करते हैं । 10 तव भाटियोंने चारण भुजा संढायचको मुखिया बना कर के रिमलजीको राजी करने के लिये भेजा । II भुजेने राव रिगमलजीका यशगान किया । 12 तव रिणमलजी प्रसन्न हुए और कहा कि 'अव में उनका बिगाड़ नहीं करूंगा।' 13 इस पर भाटियोंने राव रिणमलको प्रपनी कन्या व्याह दी। राव जोधा भाटियों का दोहिता । 14 राव रिगमल प्रोर जोधाने नरवदसे लड़ाई की । IS नरवंदके तीर लगने से उसकी एक ग्रांख फूट गई और ग्राहत होकर गिर पड़ा । 16 रिणमलजीने मंडोर पर अधिकार कर लिया । * यहां राव रिमलका पूर्णमलको लेकर ढूंढाड़से बाहिर ग्रा जाना होना चाहिये। ढूंढाड़में तो वे थे हो ।

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