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मुंहता नैणसीरो ख्यात
[३३७ अांखै जखम हुतो'। ताहरां राव रिणमलजी कह्यो-'सतानूं कोट
माहेरौँ मतां काढो ।' ताहरां सताने कोट मांहै राखियो। ताहरां राव - रिणमल सतेनूं मिळण पधारिया। रिणमलजी सतैनूं मिळियो। बैठो। - पगै लगायो । ताहरां जोधो कुंवर पगै लागो । ताहरां जीनसाल पैहरियां, हथियार वांधियां पगै लागो । ताहरां सतै जोधारै पूठे हाथ दियो । ताहरां जीनसाल हाथनूं लागी । ताहरां सतै पूछियो-'रिणमल प्रो कुण' ।' ताहरां कह्यो-'राज ! रावळो गुलांम छै, जोधो ।' ताहरां सतै कह्यो-'रिणमल ! टीको जोधैनूं देई, धरती जोधो राखसो ।'
को-'भलां राज1 ।' ताहरां रिणमलजी टीकाइत बेटो जोधो - थापियो । अाप मंडोवर ले जोधा दियो। आप नागोर पधारिया।
.. उठे एक दिन बैठो राव रिणमल बोलियो-'ठाकुरे ! चीतोड़रा ... समाचार आजकाल न आवै, कासू छैन ?' युं करतां एक दिन आदमी . आयो'" । कागद दियो नै कह्यो-'मोकल मारियो ।' ताहरां रावजी
वोलिया। कह्यो-'रे, मोकल मारियो' ?' पछै कागळ वचाया ।
रिणमलजी मोकलनूं पांणी दियो। नै पाप चीतोड़नूं मतो कियो । - ताहरां २१ पांवड़सांणा हुतो। पांवड़सांण ऊभी रहनै कह्यो-'भाई !
मोकल रो वैर लीय पछै काई वात करस्यां। सीसोदियांरी दीकरयां हूं वैरमें राठवड़ांनूं परणाऊं तो हूं रिणमल'।' ताहरां रिणमलजी . I मंडोरमें सत्ता था और वह अांखोंसे लाचार था। 2 सत्तेको कोटमेंसे मत निकालो। 3 सब साथ वालोंको उनके पाँवों लगाया। 4 कुंवर जोधाजी कवच पहिने हुये और हथियार बांधे हुए उनके पांवों लगा। 5 तव सत्ताने जोधाकी पीठ पर हाथ दिया। 6 कवच हाथको लगा। 7 तव सत्तेने रिणमलको पूछा-'रिणमल यह कौन ?' 8 उत्तर दिया कि राज ! यह आपका गुलाम जोधा है। 9 तब सत्तेने कहा-रिणमल ! टीका जोधाको देना । घरतीको जोधा रख सकेगा। 10 बहुत अच्छा महाराज! 11 तब रिणमलजीने अपने पुत्रों मेंसे जोधाको टीकायत स्थापित किया। 12 आपने मंडोरको लेकर जोधाको दे दिया
और स्वयं नागोर चले गये। 13 वहां एक दिन बैठे हुए राव रिणमलजीने कहा-'ठाकुरो ! : आजकल चितौड़के कोई समाचार नहीं मिल रहे हैं, क्या बात है ? 14 इस प्रकार प्रतीक्षा करते-करते एक दिन प्रादमी आ ही गया। 15 उसने पत्र दिया और कहा-'मोकल मारा गया । 16 अरे! मोकल मारा गया ? 17 रिणमलजीने मोकल को जलांजलि दी और खुदने चित्तौड़ जानेका विचार किया। 18 मोकलके बैर का बदला लेनेके बाद फिर कोई बात करेंगे। 19 सिसोदियोंकी पुत्रियोंको इस बैरके बदले में राठौड़ोंको व्याह दूं तो मैं रिणमल ।