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मुंहता नैणसीरी ख्यात
बळिया काळा दाद, तूं गोगादे
पैहर मेळियौ ।
वेधीर, एका जेही नीवड़ी ||
हां महे' ।
ताहरां धीरदे पड़ियो, कांम श्रायो ।
ताहरां गोगादेजी बोलिया - 'जे कोई सुणतो हुवै तो सांभळज्यो', गोगादे कहै छै; राठोड़े पर जोईये वैर बराबर हुवो छै । जे कोई जीवतो हुवै तो महेवै जायनै कहज्यो । राव रांणंगदे विष्टाकारी दीनी छै । ज्यो वैर भाटियां कनां लेज्यो' । ताहरां झींपो झांस मांहै छिपियो हुतो, सु झींपै सुणियो । सु जाहरां झींपो महेवै गयो, ताहरां समाचार कह्या' ।
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तितरै जोगी गोरखनाथ प्राय नीसरिया । गोगादे बैठो दीठो । ताहरां गोरखनाथ साथळां जोइन लगाई। एक साथळ ऊदैरी चेढी । एक साथळ ग्रापरी चेढी ' ' । ताहरां गोगादेजीनूं गोरखनाथजी शिष्य किया । प्रजेस गोगादेजी चिरंजीव छै" ।
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गोगादेजी वीरमोत थळवट मांहै रहे । एक समइयै थळवट मांहै काळ पड़ियो । लोग मऊनूं चालियो । थोड़ो सो लोग रह्यो । । 14
I तव धीरदेने कहा—'वदला लेने वालोंमें अधीर हे गोगादे ! तूने अपने को और मुझको, दोनोंको भगवानसे मिला दिया । ( परस्पर क्षत्रियोचित काम कर वीर गतिको प्राप्त हुए 1 ) अत: अब अपने श्रापसमें जो भयंकर शत्रुता थी, वह खत्म हो गई । महेवेकी हानि की बात थी सो वह भी अब दोनों ओर एक जैसी बात हो जाने पर खत्म हो गई । श्रपना वैर बराबर हो गया ।' 2 जो कोई सुनता हो तो सुन लेना । 3/4/5 जो कोई जिंदा हो तो महेवे जाकर यह खबर देना कि राव गांगदेने हमें अपशब्द कह कर ललकारा है सो इस बैरका बदला भाटियोंसे लेना है। 6/7 झोंपा कहीं भाड़ी में छिपा हुआ था, उसने गोगादेकी इस वातको सुना और वह जब महेत्रे गया तो उनके ये समाचार कह सुनाये । 8/9 इतने में योगी गोरखनाथ उधर : या निकले। उन्होंने गोगादेको इम हालत में बैठे देखा । 10 जब गोरखनाथने टूटी हुई जंघाको तलाश करके गोगादेजीके शरीरमें जोड़ दी । II उनमें एक जांघ ऊदेकी श्रीर एक स्वयं गोगादेकी चिपकाई । 12 गोगादे अभी तक चिरंजीवी है । 13 वीरमजी के पुत्र गोगादेजी थल प्रांत में रहते हैं । 14 एक बार में दुकाल पड़ा सो लोगोंने मऊके रूपमें देशसे प्रस्थान कर दिया | मऊ = दुष्कालके कारण भूखों मरती हुई गरीब प्रजाका वह समूह जो वर्षा वहल प्रांत में खेती, मजदूरी श्रादि करनेको जा रहा हो ।