Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 02
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 326
________________ ३१८ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात पड़ोहियो चढि अर पूंगलनं दोडियो । धीरदेन कहण गयो । प्रागै धीरदे परणीज अर रात सूतो। कांकण-डोरा छोड़िया न हुता'। सु... रात पहर १ वांसली हुती। ताहरां पड़ोहियो हीसियो । ताहरां धीरदे . जागियो। कहियो-'रे, पड़ोहियो हीसियो ? कह्यो-'जी, पड़ोहियो .. काह ?' तितरै वात कहतां पेहली हांसू जोईयो प्राय पुकारियो । ताहरां धीरदे वोलियो-रे कुसळ छ ?' कह्यो-'जी, कुसळ कठा ? गोगादे वीरमोत आयो हुतो। दलो मारियो। मारनै पाछो जाय छै ।'. ताहरां धीरदे अठियो। जांमो पहर, हथियार वांधनै आयो । प्रायन घोड़े जीण करायो। तितरै राव रांगंगदेन खवर हुई। ताहरां यायनै कह्यो-'जी डोरा-कांकण खोलनै चढो । ताहरां धीरदे.. वोलियो-'पायनै खोलस्यां ।' ताहरां रांणंगदे नै धीरदे जोईयो बेऊ चढिया। प्रागै गोगादेजी पाद्रोलायां उतरिया छ। घोड़ा चरण छोड़ दिया है। साथ सोह. . पाणी ऊपर टिकियो छैन । भाटी नै जोईयांरो साथ आघो वुहो। ताहरां घोड़ा चरता दीठा15 । ताहरां जांणियो-'जु, झै घोडा गोगादेरा.. छै16 ।' ताहरां घोड़ा लिया। घोड़ा लेनै अपूठा घिरिया" । पाद्रोलायां आया सु कटकनूं त्रिस पाड़ियो । ताहरां भाटियै अर जोईयै कहियो-'पांणी पावो, ज्यु वाताळगो करां, वैर भांजां19 ।' ताहरां . पांणी पीवण दीनो। ताहरां पांणी पायो अर घोड़ा ताजा करने 1 तव दलाका भतीजा हांसू 'पड़ोहियो' नामक घोड़े पर चढ़ कर पूगलको भागा। 2 धीरदेको कहनेके लिये गया। 3 धीरदे विवाह करके (प्रथम-मिलनकी) उसी रात अपनी स्त्रीके पास सोया हुआ था। 4 कंकण-डोरड़े. (विवाह-सूत्र) अभी तक खोले नहीं गये थे! 5 पिछली एक प्रहर रात थी तब पड़ोहिया घोड़ा हिनहिनाया । 6 उत्तर दिया कि पड़ोहिया. कहां है जी? 7 इतनेमें। 8 उत्तर दिया कि अजी ! कुशल कहां ? 9 मार करके वापिस जा रहा है। 10 अजी ! कंकरण-डोरड़े खोल कर सवारी करो। II वापिस आकरके खोलेंगे। 12 दोनों चढ़ कर रवाना हुए। 13 सारा साथ तालाब पर पानीके किनारे पर . ठहरा हुआ है । 34 भाटी और जोईयोंका साथ आगे चला। 15 तव घोड़े चरते हुए देखे। 16 ये घोड़े गोगादेके हैं। 17 घोड़ोंको लेकरके वापिस घिरे । 18 पाद्रोलायां गांवके. निकट आये तब कटकको प्यासने सताया। 19 पानी पिला दो, जितने अपन वातचीत करें ... और फिर जा करके शत्रुताका बदला लें।

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