Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 02
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 329
________________ - i m -rai - --...... ..... . मुंहता नैणसीरी ख्यात [ ३२१ - बीजा सरब उचळिया। आप आपरै मतै गया। मजूरी कर खाधो । . .. पछै ऊपरसू असाढ़ आयो, ताहरां गांवां माहै लोग आय वसियो । सु वानर तेजो भलो रजपूत हुतौ। आपरो खासो चाकर हुतो सोई मऊ गयो हुतो सु भो पण पाछौ आयो । दोय साथै टाबर-एक बेटो... एक बेटी । एक पड़तल बळद' । तिकै रजपूत गांव मीतासर । आय वासो लियो। रात रह्यो । . प्रभात कोहर सांपड़णनूं गयो । ओ जांणतो न हुतो, पांणीडी माहै बैठो । झूलण लागो सु गांवरा धणी मोहिल देख अर उण रजपूतनूं बेटीरी गाळ दीवी"। अर कह्यो-'रे, पापी ! लोग पांणी पीवै । छै ।' अर उवै रजपूतनूं चोट वाही। बळदारो जूट वहतो हुतो तिकै पुरांणीरी दीवी। सु रजपूतनूं बुरी लागी। ताहरां लोकां कह्यो'रजपूत गोगादेजीरो छै, बुरी कीवी।' ताहरा मोहिलै पुरांणीतूं इयैरा मगर चीरिया । अर करो-'गोगादे करसी सो देखस्यां ।' ताहरां रजपूतांणी उण रजपूतनूं वरज राखियो । अर प्रो घरनूं . । दूसरे सभी लोगोंने उचाला कर दिया। 'उचाला' अर्थ के लिये देखिये इस दूसरे .. भागके पृ. ११७ की टिप्पणी । 2 अपने-अपने विचारसे भिन्न-भिन्न स्थानोंको गये। 3 मज दूरी कर गुजरान किया। 4 फिर जब अगले वर्षका आषाढ़ मास पाया तब वापिस लोग अपने-अपने गांवोंमें आकर बसे । 5 वानर तेजा एक अच्छा राजपूत था और वह गोगादेजीका खासा सेवक था, वह भी मऊके रूपमें चला गया था, अव वापिस लौटी। 6 एक लड़का और एक लड़की, दो बच्चे साथमें। 7 सामान रखनेको एक बैल साथमें। 8 उस राजपूतने मीतासर गांवमें आकर विश्राम लिया और रात भर ठहरा। 9 प्रभात समय कुएँ पर नहानेको बैठ गया। 10 इसे पता नहीं था अतः वह पीनेके पानी भरनेकी कुंडी (हौज)में नहानेको गया। II जब वह उसमें स्नान करने लगा तो गांवके मालिक मोहिलने उस राजपूतको बेटीकी गाली दी। 12 जो बैलोंकी जोडी पानी निकाल रही थी, उनको हांकनेकी पुरानी लेकर उसको मारा। पुरांणी, (परांणी) = बैलोंको हांकनेकी एक लकड़ी जिसकी एक श्रोर तीखी लोहेकी कील लगी होती है। 13 यह राजपूत तो गोगादेजोका आदमी है. इसे मार कर तुमने बुरा किया। 14 तब मोहिलने पुरानीसे उसकी पीठ चीर दी। 15 गोगादे करेगा सो देख लेंगे। 16 तब एक राजपूत स्त्रीने उस राजपूतको रोक रखा।

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