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मुंहता नैणसीरो ख्यात
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[ ३११ हाळी आयो । प्रायनै कह्यो - 'राज ! म्हारै खेत माल छै । हूं हळ वाहतो तो सु चरवैरा कांना नीसरिया छै । सु माल धरतो मांहैलो धरतीरै धणीरो छै' । तैरै वासते हूँ थांनूं कहण प्रायो छू ।' ताहरां रावजी साथै आदमी दिया । ' जावो, काढो ।' ताहरां हाळी साथै आदमी नै आयो । धरती खिणी पण घणा ऊंडा छेह न आवै ' । ताहरां श्रादमी राव चवंडे आगे गया । जायन कह्यो - 'राज ! वासण ऊंडा छे, छेह नावै ।
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ताहरां रावजी हाथी असवार हुइने पधारिया छै । आयन वेलदार लगाया । कह्यो - 'खिणो ।' ताहरां वेलदारां ऊंडा खिणनै काढिया । देखें तो भूंजाईरा वासण छै । चरवा देगां, कुंडियां, थाळियां" । ताहरां कह्यो - 'ठाकुरे ! जोवो" ।' ताहरां रावजी उतरिया । उतरनें जोया | ऊपर नांनग चावड़ैरो नांमो छै । युं लिखियो छे - ' जिको वासण वरतावै सु ईयँ भांत भूंजाई करै 12 ।' ताहरां राव चूडैजी कह्यो - 'वासण परहा बूरो।' तोहरां रजपूत बोलिया - 'राज ! कोई एक थोक तो लीजै ।' ताहरां रावजी पळी १ उठाय लियो" । वाकीरा वासण सरब बूरिया " ।
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ताहरां रावजी नागोर आयनै पळी तोलायो सु पचीस पईसां
जितनेमें एक कृषक श्राया । हाळी = १ हल चलाने वाला । 2 कृषकके यहां कृषि मेरे खेत में माल निकला है ।
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संबंधी कार्यकी नौकरी करने वाला | 2 श्राकर के कहा- राज !
धरती में प्राप्त हुआ वह लिये श्राया हूँ । 6 जाश्रो,
3 मैं हल चला रहा था तब एक देगके किनारे निकले हैं । माल उस धरती के स्वामीका है । 5 इसके लिये मैं आपको कहने के निकाल लाओ । 7 धरतीको खोदा परन्तु ऊंडे अधिक होनेसे अंत नहीं श्राता है । 8 बर्तन ऊड़े बहुत हैं अतः तका पता नहीं लगता । 9 तब वेलदारोंने गहरा खोद कर के निकाल लिया। 10 निकाल कर देखते हैं तो चरू, देगें, कूंडियें और थालियाँ आदि भूंजाई के बर्तन मिले | II तब लोगोंने कहा- ठाकुर ! देखिये । 12 जो इन वर्तनोंको काममें लाये वह इस प्रकार भूंजाई करे । भूंजाई = बड़ा भोज । 13 वर्तनोंको वापिस गाड़ दो । 14. कोई एक वस्तु लेलो । थोक = (१) एक ही प्रकारकी वस्तुनोंकी राशि । ( २ ) वस्तु । (३) नग, संख्या । 15 तव रावजीने एक पळी लेली ! पळी = घी, तेल आदि द्रवपदार्थ नापनेका एक लंबी डंडी वाला पात्र, टीपरा । 16 शेष बरतन गाड़ दिये ।