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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३०५ .. जैसिंघ तीन ठाकुर नानांण ले गया। चूंडोजी आल्है चारण रै घरै पूगतो कियो । आल्हो भली भांत राखै । घर माहै आसरो धोयनूं मांड दियो । धाइ बैठी पाळे । छांनौ राखीजै । ईयै जिनस चूंडोजी म्होटा हुवै छै ।
__ । पहुँचा दिया । 2 घरमें एक आश्रय-स्थान धायके रहनेके लिए बनवा दिया। ... 3 धाय उसमें बैठी हुई चूंडेका पालन करती है । 4 गुप्त रखा जा रहा है । 5 इस प्रकार
चूंडोजी दिन-दिन बड़े हो रहे हैं।
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