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मुंहता नैणसीरी ख्यात ताहरां रायसिंघ पण साथ हुवो छ । सु रायसिंघ वडो वारणा- ...... वळी । रायसिंघरो वाह्यो (बांण) खाली न पड़े । ताहरां दोनूं चढि खड़िया । ताहरां रायसिंघ बोलियो-'कुंभाजी ! महेवै जाय . ... कातूं करस्यां? अडोअड़ हालो, ज्युं बूंघरोटरा पहाडनूं खड़ो । ज्यु जाइ पहुंचां ।' ताहरां कुंभो बोलियो-'थे धाड़वी, रायसिंघजी ! सरब मारग जांणो छो । म्हे कासूं जांणां मारगरी सार' ? ताहरां चूंघरोट चढ खड़िया छै । दोय पोहर रात खड़िया, दो पोहर दिन खड़िया । ___ ताहरां आगै सेंचाळ कोहर तेवै छै' । पणिहार घड़ो भरियो छै । कहै छै-'रे भाई ! मोनूं घड़ो उखगाय ।' ताहरां सेंचाळ उखणावै नहीं। उवा नहोरा करै छ । ताहरां कुंभै सेंचाळनूं कह्यो-'रे मुंहडै मूंछ छै, मरद कहावै छै, इये पिणियारीनूं घड़ो क्यूं नहीं उखणावै । छ ? ताहरां सेंचाळ बोलियो-'उतावळा छो तो राज उखणावो10 | ताहरां कूभै नई हुइ घडैनै हाथ घाति अर ऊंचो लियो । अर घोड़ो त्रापियो । काछी घोड़ो हुतो। गजंदा २, ३, ४ वार घोड़ें . कूळाछां खाधी13 । कंभ घड़ो इमहीज हाथां मांह राखियो14 | घोडो थांभि ठाढो करनै कह्यो15-'वाई ! नैड़ी आव" ।' ताहरां पणि-.. हाररै माथै बड़ो मेलियो छ । ताहरां पणिहार बोली-'वीरा ! तूं
___ I रायसिंह वारण चलाने में विशेपज्ञ। 2 रायसिंहका चलाया हुया वाण व्यर्थ नहीं जाता। 3 कुंभाजी ! अपन महेवे जाकर क्या करेंगे ? अपन तो उसको पहुंचते हुए चलें .
और घूघरोटके पडाड़की ओर चलाएं सो जाकर वहां पहुंच जायें। 4 आप तो लुटेरे हैं ... रायसिंहजी ! आप सभी मार्ग जानते हैं। 5 मार्गके संबंधमें हम क्या जाने ? 6 तब ... घूघरोटके लिये चढ करके चले हैं। 7 सेंचाल कुएं मेंसे पानी निकाल रहा है। सेंचाल 3 वैलोंको चला कर मोटके द्वारा कुएं में से पानी निकालने वाला व्यक्ति, सिंचाईका काम करने ..... वाला, सींचक । 8 मुझको घड़ा उठवा दें। 9 वह निहोरा कर रही है। 10 इतने उतावले हो तो आप ही उठवा दें। II तव कुभेने निकट प्राकर, घड़ेको हायसे ऊंचा . उठाया। 12 और घोड़ा चमक. गया। 13 काछी घोड़ा था, उसने अपने अगले दोनों पांवोंको ऊंचा और उठा टप्पें भर कर छलांगें मारी। 14 इस पर भी कुभेने घड़ेको उसी . प्रकार हायमें पकड़े रखा। 15 घोड़ेको थाम कर और उसे शान्त करते हुए कुभेने कहा । . . . 16 बाई ! निकट ग्रा।