________________
मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २८९ दिनरो कियो' । बीजा असवार फोज ऊपर नांखो । ताहरां रात पोहर १ गई, ताहरां ईंयां ठाकुरां रातीवाहो दियो । ताहरां हेमै . सीमाळोत जाइ पैहली तोड़ि कनात, भांज थांभो', अर मुगलनूं घाव कियो । मारनै माथैरी कुलह लीधी । अर जगमाल मालावत घोड़ो दाबियो, सु थांभो खिसियो नहीं। खस रह्यो । ताहरां हेमरी गळी कीधी' तिर्यमें घोड़ो घाल अर घाव कीधो, सु हेमै दीठो । प्रै ठाकुर सिरदार मुगल मार बीजो' साथ सरव भांज, औ ठाकुर ऊभा रह्या । मुगल नाठा। ईंयां साथ लूंटियो। पछै आय रावळजीनं सलाम कीधी । दरबार जोड़ रावळजी बैठा । सारैही साथरो मुजरो लियो। ताहरां कुंवर जगमाल कहै-'सिरदारनूं म्हारो घाव छै11 ।' 'ताहरां हेमो सीमाळोत कहै-'कोई सहनांण द्यो । ताहरां रावळ मालोजी बोलिया-'जियां सिरदार मारियो, तियां कनै सहनांण हुसी ।' ताहरां हेमै सिरदाररै माथै री कुलह काढ दीधी। कह्यो जी'जगमालजी ! म्हां मारियो सु थांईज मारियो छै' । पण थांनूं आ वात चाहीजै नहीं । म्हे तो थांहरां रजपूत छां। म्हारो थे वांनो वधारो तो भलो छ, किना युं करयां भलो ? पहली तो थां म्हारी गळी कीधी, मांहै घोड़ो घालियो, पछै थां मारियनूं घाव कियो, सु थां मांहै जगमालजी चूक छै" । आपां बोल किसो कियो हुंतो18 ।'
I दिनमें सभीने इस प्रकार वचन दिया । 2 दूसरे सवार सेना पर आक्रमण करें। 3 तब इन ठाकुरोंने रात्र्याक्रमण किया। 4 थंभेको तोड़ कर। 5 मार कर सिर परकी कुलह ले ली। कुलह = लोहेकी टोपी, शिरस्त्राण । 6 खूब पच रहा, किन्तु थंभा नहीं खिसा । 7 तब हेमेकी बनाई हुई गली में अनुसरण किया और उसके भीतर अपना घोड़ा प्रवेश करके प्रहार किया। 8 हेमेने ऐसा करते हुए देख लिया। 9 दूसरा। 10 मुगल भाग गये। II सरदार पर घाव मैंने किया है। 12 कोई निशान हो तो दो। 13 जिसने सरदारको मारा है, उसके पास कोई निशान होगा ही। 14 जगमालजी ! हमने मारा है सो तो आपहीने मारा है। 17 लेकिन आपको यह बात नहीं करनी चाहिये। 16 हमारा स्वरूप (प्रतिष्ठा) बढ़ाना अच्छा है अथवा यों करना अच्छा ? पापही सोचें। IS देखिये ! पहले तो, मैंने जो गली बनाई थी उसी में आपने अनुसरण किया और अपना घोड़ा अंदर प्रवेश किया। मेरे द्वारा मारे हुए पर आपने प्रहार किया। जगमालजी ! यह आपकी भूल है। 18 अपनने निश्चय कौनसा किया था ?