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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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गया। आगे वसती आई | देखे तो एक रजपूत बरछो लियां ऊभो छै । ताहरां वै रजपूतनूं पूछियो - 'प्रा किणांरी वसती छै ?' ताहरां रजपूत बोलियो- 'जी वसती सोळंकियांरी छै । कह्यो' ठकुराळा * ! आ बेटी किणरी छै' ?' ताहां ऊ रजपूत बोलियो'जी, ईयै रजपूतरी डावड़ी छै' ।' वळ पूछियो- 'थे कि जातिया छो' ?' कह्यो-'जी, हूं सोळंकी छू ।' ताहरां उठे उतरिया, डेरा किया । गांवरा लोक हीड़ा करण लागा। ताहरां वे रजपूतनं तेड़ने में को'थांरी बेटी जगमालजीनं परणाव ।' ताहरां रजपूत बोलियो - 'राज ! म्हे मालजी रा रजपूत छां । म्हां सरीखांरो साहिबांसूं सगपरण किसो ? म्हे खिलहरी लोक छां । जंगळरा वसणहार मूंछ लोक छां''। मांहरा टाबर राज- रीत - सार काई जांणै ? तो राजा छै, मांहरा छोरू गंवार लोक छै ।' ताहरां हेमोजी बोलियो - 'जी टाबर रावळी छै ।' ताहरां प्राथण वांस रोपाय, अर चंवरी बांध, जीनूं परणाया'" । दिन ३, ४ रह्या । उठे सोळंकणीनूं ग्रासा रही। उठाहूं जगमालजी * चढि र महेवै प्रया | सोळंकणी
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जगमाल
2 खड़ा है ।
4 हे ठाकुर ! S यह लड़की
I तब ये ठाकुर ( उस लड़की के ) पाँवों को खोजते खोजते गये । 3 तब उस राजपूतको पूछा कि यह किनकी बस्ती है ? किसकी है ? 6 जो ! यह इस ( मुझ) राजपूतकी लड़की है । पुनः पूछा कि तुम कौन जाति के हो ? 8 तब वहीं उतर कर डेरा लगा सरीखोंका बड़ोंसे कैसा संबंध ? 10 हम तो ऊंट प्रादि पशु चराने वाले II जंगल में रहने वाले अपढ़ लोक हैं। मूंछ = असभ्य, असंस्कृत, अपढ़ | 12 हमारे बच्चे राज-रीतिको बातों में क्या समझें । 13 हमारे बच्चे ग्रामीण लोक हैं । 14 तब संध्याको बांस खड़े कर ( मंडप वनाय) और चंवरी बांध कर जगमालका विवाह कर दिया। IS वहां सोलंकनी गर्भवती हुई । 16 वहांसे जगमालजी चढ़ कर महेवे प्राये ।
7 दिया। 9 हम जंगली लोक हैं ।
** जगमाल बड़े वीर पुरुष थे । ये गुजरात के बादशाहकी बेटी गींदोलीको उड़ा कर ले आये थे | जगमालको मार कर गींदोलीको वापिस ले जानेके लिये बहुत बड़ी सेना के साथ वादशाह स्वयं जगमाल पर चढ़ कर श्राया था। जगमाल युद्धमें बड़ी वीरतासे लड़ा और उसने ऐसी तलवार बजाई कि बादशाह और उसकी सेनाको रणांगरण से भाग कर प्रारण • बचाने पड़े । गींदोलीको प्राप्त करनेके लिये फिर वह साहस नहीं कर सका । प्रसिद्ध है कि'गोंदोली बांधी गळ', जिका न दे जगमाल'। इस ऐतिहासिक घटना के सम्बन्ध में गींदोलीरी वात' नामक कथानक प्रसिद्ध है । जगमालकी इस अभूतपूर्व विजयसे राजस्थानका लोकसाहित्य भी बहुत प्रभावित हुआ है । स्त्रियों द्वारा गाया जाने वाला - 'गींदोली जगमाल महाल, गींदोली किम दीर्ज हो राज ।' लोकगीत आज भी प्रसिद्ध है ।