Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 02
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 296
________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात २८८ ] उठे हीज राखी, साथै ल्याया नहीं ' । तिरहेकै दिने सोळंकणी वेटो जायो । नांव कूंभो दियो । नांना हीज मोटो हुवे । 0 एकदा प्रस्ताव | रावळ मालजी महेवै राज करता थकां पातसाही फोजां महेवें ऊपर विदा हुई । ताहरां मालैजी अमराव तेड़िया | को- ' कासूं करस्यां ?' ताहरां ग्रालोच कियो' । कह्यो'जी ग्रांपं लड़ाई कियां पहुंचां नहीं ताहरां हेमो बोलियो- 'जी रातीवाहो देस्यां ।' ताहरां मालोजी बोलिया - 'भली कही ।' ताहरां रातीवाहो थापियो' । ताहरां मालैजी हुकम कियो - 'सिरदारांरा नांव मांडो ।' ताहरां सातवीसी सिरदार नांवे मंडाया " । इतरां ठाकुरांनं हुकम कियो - 'थे राती वाहो द्यो" ।' सु तुरकांरै हाथियां ऊपर कनातां चाले, काठरा थांभा चाले । जाहरां उतरे, ताहरां घर वणाय लै । सिरदार तो घर मांहै उतरें । इसी जतन करें । युं करता महेवैरै नजीक आय उतरिया । ताहरां ईयां ठाकुरां रातीवाहैरी तयारी कीनी । ताहरां जगमाल मालावत, कूंपो मालावत, हेमो सीमांळीत, घड़सी रतनसीत्रोत - ईंयां ठाकुरां सिरदार मारणो अटकळियो ” । सिरदारां ग्रापस में कह्यो - 'ठाकुरे ! मुगल तो घर मांहै छै । सुं थांभो तोड़ पर घर मांहै घोड़ो घालणो. अर सिरदारनूं घाव करणो । अर आप थांभो तोड़ गळी करने घोड़ो. घालणो 14 नर घाव करणो । वीजैरी सेरी मांहै घोड़ो घालणो नहीं"। इसो वयण 1 2 3 2 1 सोलंकनी को वहीं रखा, अपने साथ नहीं लाये | 2 कितने दिनोंके बाद सोलंकनीको पुत्र उत्पन्न हुआ । 3 नाम । 4 ननिहाल | 5 मालाजी जिन दिनों महेवा में राज्य करते थे, तव महेवे पर बादशाही सेना रवाना हुई। 6 क्या करेंगे ? 7 तब परामर्श किया। 8 राज्याक्रमण करेंगे । 9 तव राज्याक्रमरणका निश्चय किया । 10 तब एक सौ चालीस ( ७२०, सात बोसी = १४०) सरदारोंके नाम लिखे गये । II इतने ठाकुरोंको प्राज्ञा की गई कि तुम रात्र्याक्रमण करो । 12 इन ठाकुरोंने सरदारको मार देनेकी तजवीज सोची । 13 और सरदार पर प्रहार करना । 14 अपने आप कनातके थंभको तोड़ कर गली बना ले और उसीमें ग्रपना घोड़ा डाले । (दूसरेकी बनाई हुई गलीमें नहीं IST ) । 15 एक्की बनाई हुई गली में दूसरा कोई अपना घोड़ा उधर नहीं डाले ।

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