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मुंहता नैणसीरी ख्यात भाटी अणंद जेसावतरो परवार, प्रांक २३ नींबो आणंदोत । ३ दूदो आणंदोत । ३ परबत आणंदोत । . ३ पीथो आणंदोत ।
नींबो आणंदोत, अांक ३ । राव मालदेरै वास । लवेरो पटै । लवेरै राजथांन कियो । लवेरै कढाई, दीवडो, भुंजाई, वडो पळो । पछै सूर पातसाहरी वडी वेढ घावै पड़ियो, तरै चाकर उपाड़ ल्याया, . घरै आयां पछै काम आयो ।
नींवैरा बेटा
४ मांनो नींवावत । ४ पतो नींवावत । ४ रिणमल नींबावत । ४ गांगो नींबावत । ४ किसनो। ४ मूळो । ४ भोजराज । ___ मांना नींबावतरो परवार, प्रांक ४ । मोटो राजा फळोधी, तद .. मांनो चाकर हुतो, कुंडळरी वेढ मांही हुतो ।
५ गोयंददास मानावत । ५ सुरतांण मांनावत।
भाटी गोयंददास मानावत वडो रजपूत हुवो। संमत १६४० मोट राजारै वास थो। लवेरैरी वासणी पावता । पछै एक वार मोटै राजा दरगाह मेलियो सु काम कर आयो, तरै मोटै राजा रीझनै मांगळो सिवांणारो वधारै दियो । पछै सं० १६४३ वोस ४ लवेरो
___I लवेरेमें अपना राजस्थान (राजधानी) बनाया। 2 इसके समयमें कड़ाही, दीवड़ी, भुजाई और बड़े पळे के लिये लवेरा प्रसिद्ध था (भोजन बनानेके बड़े परिमाणके इन साधनोंसे अपरिमित भोजन सामग्री बनती ही रहती थी)। दीवड़ी =(१) पाथेय, (२) अजाचर्म या कपड़ेका बना एक जलपात्र । भुंजाई-अधिक परिमाण में बनाई जाने वाली मिष्टान्नादि भोजन- ; सामग्री । पळो =(१) तेल घी आदि लेने-निकालने एवं नापनेका एक उपस्कर; (२) शरण ।.. 3 फिर बादशाह शेरशाह सूरके साथ (राव मालदेवकी) बड़ी लड़ाई में घायल होकर गिर
या। तब चाकर उठा कर ले जाये और घर जाने के बाद मर गया। 5 मोटा राजा जब.. फनीधीमें था तब माना मोटे राजाज्ञा चाकर था और कुंडलमें जो लड़ाई हुई उसमें वह मौजूद गा। 6 माटी गोवंददास मानावत बड़ा वीर राजपूत हुा । सम्बत् १६४०में यह मोटा राजाके यहां चाकर था । लदेरेले. वासगी गांवका हासल पाता था (उपभोग करता था)। 7 फिर . एक बार मोटे राजाने गोयंददासको बादशाही दरगाहमें जिस कामके लिये भेजा था वह करके ।। या गया, तब मोटे गाने प्रसन्न हो कर मिवाने परगनेका मांगला गांव और दे दिया। ..