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मुंहता नैणसीरी ख्यात
वेढ १ जांम सन्चै नै अमीखांन हुई तिगरी बाल
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पातसाह अकबर गुजरात आजमखांननूं सोवै मेलियो' । सु तिण दिन गिरनार अमीखांन गोरी हुतो । सु तिनै जांम सत्ते सुख हुतो सुश्राजमखान गिरनार लेवण मते । तरे जांम इणरो ऊपर करें" । तरै श्राजमखांन जांमसूं हळफळ करी । पिण वजीर जेसो जांमरे रस हुवण दै नहीं" । तर अठी नबाब चढियो । उठी जांम चढियो । नवानगरसूं कोस १२ धवळहर छै, उठै उतरियो । नबाब ग्रांमरण उतरियो छै । १३००० अमीखांन, ४००० काठी, ४००० झाला, ४००० जेठवा, वाढेल ५०००, राव पंचायण ल्यायो ५०००। जांमरा घोड़ा हजार १०००० । ग्राजमखांन कनै पण निपट सखरो साथ' " । सु वळै कहाव घणा ही हुवा, पण जांम मांने नहीं" । फोजां बेऊं चढ आई। तरै ग्रमीखांनरै चाकर काठीलो हांमी हुतो, सो क्युं उणसूं जांम वुरी की थी । सु तिण श्रमीखांननूं कयो " - " तूं गिरनाररो धणी, काइ पाधरमें मरे " ? तरै अमीखांनरो अणी विंगर विढियां हीज मुड़ियो" । बीजो ही साथ घणो मुड़ियो" । तर उण घणो जोर कियो तठेजांम सत्तो नीसरियो" । तठे कवर जो वजीर जेसो कांम ग्राया | भात्रीज भांणेज जमाई मांणस ६७सूं कांम आया' 1: कवर अजै जेसै घणो पराक्रम कियो । मांरणस १८०० जांमरा खेत
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I वादशाह श्रकवरने श्राजमखानको गुजरातके सूवे पर भेजा था । 2 उन दिनों गिरनार में ग्रमीखान गोरी राज्य करता था । 3 उसके और जाम सत्ताके परस्पर प्रेम था । 4 आजमखानका विचार गिरनार लेनेका । 5 तब जाम इसकी (श्रमीखानकी) सहायता करे । 6 तव श्राजमखानने (श्रमीखानको मदद नहीं करनेके लिये) जामसे वातचीत की । 7 लेकिन वजीर जैसा जाम और उसके परस्पर मेल होने नहीं देता । 8 इंवरसे । 9 उधर । 10 वहां जाकर ठहरा । 11 नवाव ग्रांमररण में ग्राकर ठहरा है । 12 ग्रामखानके पास भी निपट बढ़िया सेना । 13 पुनः कई बार बातचीत हुई परन्तु जाम नहीं मानता । 14. ग्रमीखानका एक चाकर काडीला हामा नामक था, उसके साथ जामने कभी बुरा बर्ताव किया था । IS उसने ग्रमीखानको कहा। 16 तू गिरनार का स्वामी है, क्यों: त्र्यमें मर रहा है ? 17 तव श्रमीखानकी सेना बिना लड़ ही मुड़ गई । 18 दूसरी सेना भी बहुत सी लौट गई। 19 तब उसकी ( श्राजमखानकी) सेनाने बहुत जोर मारा तो जाम सत्ता बहांते भाग निकला। 20 नतीज़, भानजे और दामाद के साथ ६७ मनुष्य काम आये ।