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मुंहता नैणसीरी ख्यात ४५ भोमियां हे। ४० वेरांन । ११० हासलीक ।
३ मूळीरो परगनो । वीरमगांव वांस गांव ३६ लागै । ‘गांव ४ . पातसाही दाखल । बीजा गांव काठियां दबाया । पंवार रायसिंघ. भूमियो छै। धंधूको, धवळको, मोरवी, काठीवाड़, बाचारांवाळी, मुझूवाड़ो।
चूंडा-रांणपुररी वस्ती७० वांणिया, १५० भरवाड़, पटेल, १०० सिपाई।
कोट हेढ़ नदी देरांणी-जेठांणी सदा वहै छै। कोटरो किलादार पातसाही तरफतूं मिलकबेग सदा रहै छै। सु गांव २ पावै छै। सहरमें चूंगी पावै छ। वीरमगांव जिणरी जागीर मांहीं हुवै सो असवार ५०० चूंडै-रांणपुर काठियांरै मुंहडै राखै ।
हळवद सहर झालांरो उतन। अहमदावादथी कोस ४० । नवानगर हालांरासू कांकड़ नवोनगर कोस ३० छ। हळवद पाधर माहै छै° । तळाव ऊपर कोट छै । चोड़ो घणूं। मांद माणस हजार २००० रहै तिसड़ी11 ठोड़ छै। कोट मांहै. कूवो १ मीठो.. पाणी। हळवदरी पाखती झाड़ी थोड़ी, मैदान छै। खेती ज्वार, बाजरो, तिल, कपास हुवे । ऊनाळी-पीयल कसबै काई नहीं। सैंवज घणो हुवै । पाखतीरा गांवां कूवा छ ।
। ४५ गांव भोमियोंके अधिकार में हैं। 2 ४० गांव वीरान हैं। 3 ११० गांव.. हासिल-वसूलीके हैं। हासलीक = वे गांव जहांके कृषक सिंचाई द्वारा कृषि करते हैं और उस ... कृषिका हासिल (कृषि-कर) भरते हैं। 4 ४ गांव वादशाहके अधिकारमें हैं। 5 दूसरे
गांवों पर काठी-राजपूतोंने अधिकार कर लिया। 6 छहों गांवोंके नाम हैं। 7 कोटके 'नीचे देरानी-जेठानी नामकी नदी निरंतर बहती है। 8 वीरमगांव जिसकी जागीरी में होता है उसे चूंडा-राणपुरके काठी-राजपूतोंके प्रतिरोधके लिये ५०० सवार रखने होते हैं । 9 हाला-राजपूतोंके नवानगरसे सीमा लगती है। 10 हलवद शहर मैदान में हैं। II जैसी, जितनी। 12 आजू-बाजू, आसपास | 13 कसवेके आजू-बाजू सिंचाई द्वारा होने वाली .... चैती (रबीकी) फसल कोई नहीं होती । 14 विनाः सिंचाईकी चैती-फसल बहुत होती है। सेवज = आश्विनमें अधिक वर्षा होनेसे जमीनके अंदरकी नमीसे हो जाने वाली गेहूं, चनों ग्रादिकी (विना सिंचाईसे होने वाली) फसल।