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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २५५ बाप छै ।' बूबने चंद्रसेननूं झालियो' । नै साथै हुता तिणां पांचांसातांनूं कूट मारिया । वीजा नास गया । बूबनां चंद्रसेननूं बांधने सुखपाळ मांहि नांखनै घोड़े चंद्रसेनरै रायसिंघनूं चाढियो । बीजा' जोगी घोड़े चढ हळवदरा कोट मांहै अजांणजकरा प्राय, रजपूत ७ वळे मरण वाळा हुता सु मारिया' । बीजा नास गया। रायसिंघरी . जोगियां प्राण फेरी । चंद्रसेननूं छोडने माणस साथै देन गांव मालणियाळ दे सीख दी । आप साथै जोगी ५७ ऊपड़िया हुता, तिणांरो जोग उतराय आप-आपरा गांव दै घरे मेलिया | झाला प्राय सोह मिळिया1 | रायसिंघ आपरी राई-वाई की12 | बेटा भगवानदास नारणदास कनै राखिया ।
रायसिंघनै अायो संसार सुणियो। वरस १ हुवो। साहिबरै भारै असवार १५००० हजार, १५००० पाळांसू अंजार कोसां २० उतरियो इण माथै । उठाथी दूजो भींव पंचाइणरो साहिबरा पोतरां साथै फोज दै रायसिंघ ऊपर भारै असवार हजार १००००, . पाळा हजार १०००० विदा किया । हळोद उतरियो। रायसिंघ सांम्हां असवार २०००, पाळा २०००सू आय उतरियो। वेढ हुई। रायसिंघ माणस ३५०सं काम प्रायो" । आदमी १४० जाडैचांरा कांम आया। भारै चंद्रसेननं पगै लगायो । हळवद बैसांणियो ।
... ... I पकड़ा। 2 और जो साथमें थे उन पांच-सात आदमियोंको पीट कर मार दिया। .. 3 दूसरे भाग गये। 4 डाल कर के। 5 दूसरे। 6 अचानक, एकदम। 7 सात राजपूत " लड़ कर के मरने वाले थे उनको और मारा। 8 जोगियोंने रायसिंहकी प्रान-दुहाई फिरा
दी। 9 चंद्रसेनको छोड़ दिया और उसको मालरिणयाल गांव पट्टेमें देकर और कुछ आदमी साथ दे कर रवाना किया। 10 इन लोगोंका जोगी-भेष उतरवा कर और अपने-अपने गाँव • वापिस देकर इनको अपने घर भेजा। II सव झाले आकर मिले। 12 रायसिंहने अपनी -शासन-व्यवस्था जमा ली। 13 साहिबका लड़का भारा १५००० सवार और १५००० ' पैदल सेना लेकर इसके (रायसिंहके) ऊपर अंजारसे २० कोस दूर आकर ठहरा । 14 वहांसे (अंजारसे) पंचायनके बेटे भीम दूसरेको साहिबके पोतोंके साथ दस हजार पैदल सेना देकर भाराने रायसिंहके ऊपर रवाना किया। I5 लड़ाई हुई। 16 रायसिंह ३५० मनुष्यों के साथ काम पाया। 17. भाराने चंद्रसेनको अपने पाँवों लगाया और हलवदकी गद्दी पर बिठा दिया।