________________
२४६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात
लुगड़ा' कराय दिया, खरच दियो । घोड़ा दिया। यूं करने चढणरी वेळा हुई तरै जसैनूं रायसिंघ सीख करते को - 'जु राज मोनूं प्रकर बोलियो थो', सु हूं रजपूत छू, तो सही राजरी सींव मांहै नगारो देराइस' ।' तरै जसै कह्यो - ' जिण ही दिन थे नगारो म्हारी सींव मांहै दिरावसो, तद हूं आडो थाय ऊभी रहीस' ।' सु पहली तो या वात अदावदरी हुई थी, तरै तो सारां ही जांणियो थो- ' साळा वैहनेई थकां 'रांमत करै छै' ।' न था वात रायसिंघ हालतां कही तरे तो सारे ही जांगियो - 'जुना वात साची हुई । कोई उपाव उपद्रव हुईसी ।' सु झालो रायसिंघ तो चढने हळोद प्राय टीके बैठो । पर्छ मासां ४ धरती रस पड़ी”, तरै रायसिंघ सारांही रजपूतांनूं कह्यो-'म्हार श्री रिणछोड़जीरी जात छै, सु करणरो मन छै । सकोई साथ तयार हुवो ।' तरै देस मांहै भलो रजपूत, भलो घोड़ो थो, सु सोह भेळो कियो" जात सारू" | हळोदसूं असवार हजार २०००, पाळा हजार २००० सगळो साथ छे सु गांव धवळहररी सींव" मांह्रै ग्राया, तरै नगारी दिरायो । तरै जाड़ेचे जसे कह्यो- 'इसो कुण छै जिको म्हारी सींव मांहै नगारो दै. ?' आदमी मेल खवर कराई । आदमी कह्यो'जु झालो रायसिंघ छै ।' तरै जसो ग्रापरा साथसूं चढने सांम्हो आयो । तर रायसिंघ जसानूं कहाड़ियो' - 'जु थां कनै साथ थोड़ो छ " नै म्हारै पण श्री रिणछोड़जीरी जात करणी छे । सु हूं जात करने वळतो थां मांहै नीसरीस तरै वेढ करीस " । तितरं थे पण थांहरै देसरो साथ
1
12
3
15
नगाड़ा वजवाऊंगा ।
I वस्त्र 1 2 आपने मुझे एक वार ताना दिया था । 3 तो अवश्य आपकी सीमा में 4 तव मैं ( युद्ध के लिये ) ग्राड़ा ना कर खड़ा रहूँगा । S ये सालाबहनोई हैं इसलिये हंसी-मजाक कर रहे हैं । 6 रवाना होते समय । 7. देश में शासनव्यवस्था जम गई। 8 मेरे श्री रणछोड़जीको जात (यात्रा) बोली हुई है, सो करनेका मन है । जात = कार्य की सिद्धि होने पर संकल्पित भेंट के साथ की जाने वाली किसी देवमूर्तिके दर्शनकी पूर्व निश्चित यात्रा | 9 सभी। 10 / 11 उन सबको यात्रा में साथ चलनेके लिये इकट्ठा किया । 12. सीमा । 13. तव नगाड़ा बजवाया । I4 कहलवाया | IS तुम्हारे पास सेना कम है । 16 सो मैं यात्रा करने के बाद लोटता हुआ तुम्हारी सीमामें हो कर निकलूंगा और तब लड़ाई करूंगा ।