________________
२३२ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात तरै लाखैरै मयारी बैर सोढी थी, सु लाखो वांगनूं चालण लागो तरै सोढी कह्यो'-"मोनूं थां विना आवड़सी नहीं । मोनूं पण साथै ले चालो।" तरै लाखै कयो-"उठे आठ पोहोर चढणो-उतरणो, थांहरो काम नहीं।" तरै सोढी कहै-"थांहरै डीलरो पछवड़ो १ मोनूं दीजै । इण पछेवड़ा रो दरसण करीस नै मोहल में बैठी रहीस' । .. नै अंक प्रो मनभोळियो डूंम अठ राखो। ओ मोहल नीचे ऊभो थांहरो जस गावसी, सु सुणीस नै वैठी दिन वोळाइस" ।"
सु लाखो तो वागोर बलोचारै थांण चालियो। मास ५ तथा ७ ... लागा। वांस सोढी घरै छै, सु वरसातरा दिन छ । ऊपर मेह झड़ लाग रयो छ । वीज चमकै छै । इण समै सोढी रात आधीरा झरोखे प्राय बैठी छै, सु व्रत काम व्यापियो छै । सु नीचे डूंम मनभोळियो ? गावै छै । इणनूं ऊपर बुलायो । इणसूं.अठ सोढी चूकी। सु भेळो ले. सूती छै" | लाखारो पछेवड़ो सु पगां नीचे विछायो छै । इणसू .... केइक दिन घरवास रयो ।
सु लाखो उठे बांगै छ, सु बारै रातरा नाड़ाछोड़ करणनूं आयो", सु ऊंचो जोवै छै । तरै दूहो कह्यो' 4
किरती माथा ढळ गई, हिरणी गई उलत्थ । . ....
सुवै निचिती गोरड़ी, उर माथै दे हत्थ ।। तरै मावल वरसड़ो लाखा कनै थो16 सु मावल कहै-"राज !
I जव लाखा वांगेको जाने लगा तो उसकी कृपापात्र (मांनीती) पत्नी सोढीने कहा। 2 मुझको तुम्हारे विना यहां अच्छा नहीं लगेगा। 3 तुम्हारे शरीर परका दुपट्टा एक मुझको दीजिये। 415 इस पछेवड़ेका दर्शन करूंगी और महलमें वैठी रहेंगी। 6 सो सुनती रहूंगी और वैठी हुई अपने दिन विताऊंगी। 7 विजली। 8 सो अत्यंत काम व्यापन ....: हुआ है। 9 यहां सोढी इससे कुकर्म करवा कर पतित हुई। 10 वह उसको साथमें लेकर... . सोती है । II इससे कई दिन तक घर-बसा चलता रहा। 12 सो रातको पिशाब करनेके ... . लिये बाहिर पाया । 13 सो वह ऊपर आकाशकी ओर देखता है। 14 तब उसने यह दोहा कहा। 15 किरती (कृत्तिका नक्षत्रसमूह) शीर्षस्थान (मध्याकाश से पश्चिमकी अोरं चली गई है और हिन्गी (मृगशिरा नक्षत्रसमूह) उलट गई है। ऐसे समय में वक्षस्थल पर हाथ .. रखे स्त्री (पत्नी) निश्चित सो रही है । . 16 पासमें था ।