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मुंहता नैणसीरी ख्यात सवों सोढीरै मोहल गयो । आगै देखै तो सोढी मनभोळियासं गळबांही घातियां सूती छै । जोयनै पाछो वीजी वैरांरै घरे गयो । उठे तयारी हुई, तरै अही जागिया । कयो-"ठाकुर आया नै प्रांपांन । दीठा ।" डूंम ऊठ परो गयो। वात होणहारी थी सु हुइ चुकी । लाखो बीजी हीज बैरांर घरे सुय रह्यो। ___सवारै गोर्खे' प्राय वैठनै डूंम मनभोळियै नूं बुलायो। कह्यो--... " रे! म्हैं तो सोढी दी। तो→ महापसाव करी ।" नै सोढीनूं ... कहाड़ियो'--"म्हें तोनू डूंमनूं दी । तैसू जिकू जे नीसरियों जाय सु लेजा' । उठे डूंम दूहो कहै
चोर भला ही धन हरै, सापुरसां घर जार।
दीठा दोस ज परहरै, लाखा सो दातार' ।। ड्रम मनभोळियो सोढीनूं ले गयो । पछै कितरेक दिने लाखो पाटण परणीजण आयो । त? ओ डूंम पण मांगणी आयो छ । सोढी : पण साथै पाई छ । लाखै डूंमनूं दीठो । तरै कह्यो-"रे ! सोढी समाधी छै15 ?' तरै कह्यो-“जी समाधी छै ।' सोढी पण लाखानूं दीठो। रूप, साहिबी देख, उज लूसनै सोढी कह्यो16-"धांन-पाणी खाणरो सूंस छै"।" लासैनूं कह्यो--"थांनूं सोढी देखनै धान-पाणी, खाणरो सूंस लियो छ । जो मोनूं लाखोजी अकांतमें पाप हाथसू
I लाखा ऊंटसे उतरते ही सोढीके महल में गया। 2 देख कर फिर दूसरी स्त्रियोंके घरको चला गया। 3 वहां इनके आनेकी तैयारी हुई तव ये भी जग गये। 4 ठाकुरने ..
आकर अपनेको देख लिया है। 5 लाखा दूसरी स्त्रियोंके ही घर में सो गया। 6 दूसरे दिन ... प्रातः। 7 झरोखेमें । 8 अरे (ढाढ़ी) ! मैंने तुझको सोढी दी। तुझको इसे महापसाव करदी ! (महापसाव = कोड़पसाव आदि बड़े दानोंसे भी बड़ा दान, महादान)1 9 और सोढीको कहलवाया। 10 मैंने तुझे ढाढ़ीको देदी। II तेरे से जो (धन) निकाला जाय सो : लेकर चली जा। 12 ऐसे सत्पुरुपोंके घर पर जाकर चोर भले ही उनका धन हरण करे, ... जो उनके (चोरोंके) अपराधको देख कर भी अपनी महान् उदारतासे उन्हें उस धनके साथ छोड़ देते हैं । हे लाखा ! ऐसा दातार एक तू ही है। 13 पीछे कितनेक दिनोंके वाद पाटणमें .. विवाह करने को आया। 14 देखा। 15 अरे! सोढी प्रसन्न है ? 16 आंसू पोंछ कर सोढीने कहा । 17 अन्न-जल लेनेकी शपथ है ।