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मुंहता नैणसोरी ख्यात गुदड़ी मांहै आंगळ वे बैंठी । लाखो पाछो वळियो । रावळ , काठियां मांमां मांहै गयो । लाखो वां असवारां माहै हुयनै भुज प्रायो। टीकैरा घोड़ा देनै खंगाररै टीको काढियो। लाखो घणा दिन अठ .. रयो । जांणियो, कदाच खंगार मोनूं मारै तो म्हारै माथैरी उतरै । तरै खंगार कह्यो-" काकाजी ! घरै पधारो । राज जांणो सु म्हे न करां । वा रावळसूं हीज व्है । रावळा यासापुरा जांण', थां थकां क्युं न जांणां । रावळ टोकं बैठे, तरै म्हां नै रावळ बात । . .
पछै रावळनूं लाखो जीवियो तो (सूधो) पगे न लगायो ।
पछ कितरांहेकां दिन लाखो किणही काम गयो थो, सु थोडे साथसू थो, सु धोधा ऊपर प्रायनै लाखानूं मारियो । तर रावळ टीक वैठो। तरै खंगार कह्यो-"हमैं हमीर मांगां ।" खंगार पण मोटो. हुवो । वरस २० तथा २२ माहै हुवो । साहवी संभाही । तरै साथ करनै रावळ न यां विचै सीप नदी छै, तठे पायो । पैली कांनी रावळ माणस हजार सात-पाठसूं आयो। हजार आठ-नवांतूं खंगार आयो। पखालद हुई (?) नैड़ा पाया" । दीहां वेढ व्है । रात आप-आपरै सको गाडै जाय माणसां मांहै सूवै। मांहोमांहि पैलांरा ... उलारा डेरां जावै-प्रावै । सवार हुवै वळे वेढ हुवै । यूं वारै वरस वेढ कीवी। आसापुरा देवी विचे दी नै लोपी, तिणसूं दिन-दिन रावळनूं हार पावती जाइ। पैला जोर चडता जाय । तरै रावळ वजीर ..
1 दो। 2 लाखा पीछा लौटा। 3 लाखा वहुत दिन तक यहीं रहा । 4 मनमें ऐसा विचार कर के वहां रहा कि यदि खंगार मुझे मार दे तो मेरे पर चढ़ा हुआ कलंक उतर. . . जाये। 5 आप जो जाने हुए हैं वह मैं नहीं करूंगा। 6 ऐसा तो रावलसे ही हो सकता है। 7 मैं अापकी और आशापुरा देवीकी शपथ खा कर कहता हूं। 8 मैं आपके प्रति कोई दुर्भावना नहीं रखता। 9 तब मेरे और रावलके बीच में वात है। 10 लाखा जिया तव तक रावलको अपने पांवों नहीं लगने दिया । II कितनेक दिनोंके वाद। 12 तव खंगारने कहा 'अव हमीरको मारने का बदला लेना मांगता हूँ। 13 राज्य सम्हाला। 14 वहां पर आया। 15 उस ओरसे। 16 निकट आये। 17 दिनमें लड़ाई होवे । .... 18 रातको सभी अपने-अपने गाडों और अपने मनुष्योंमें जाकर सो जावे। 19 परस्पर इधरके उधरके शिविरों में आते जाते हैं। 20 प्रभात होते ही फिर लड़ाई लड़ते हैं।