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मुंहता नैणसोरी ख्यात
[ २२७ पैहरियां घोड़ा ऊपर बेसुध हुवो छ । जमलो आय देखै तो "फूल छै ।" तरै कह्यो-"प्रो दुसमण छै। पण मरसी' तो सिगळा जाड़ेचा प्रांपांसू
वैर करसी।" ... तरै गांव मांहै स्यांणा आदमी था सु भेळा किया । फूलन
तपायो, सेकियो घणूंही, पण सावधान हुवै नहीं। तरै तबीबां' ....... कह्यो-"और उपाव को नहीं, नै एक उपाव छै । काई वडकँवार
ज्वांन इणनूं छातीतूं भींच सुवै तो उण आगरी तपतसूं ओ सावधान हुवै । तरै जमलै अहीर आपरै वडकंवार बेटी थी, तिणनूं कह्यो"तूं फूलनूं छाती लगायनै भेळी सू'। तरै इण कह्यो-"मोनूं दोस लागै; हूं पर-पुरस भेळी सूवू नहीं।" तरै इणरै बाप घणो हठ कियो। . तरै इण कह्यो-"हूं जो सोऊं तो इणनूं मोनूं परणावो । यो तो मुंवो
हीज छै, पण माहरै भागमें हूसी तो जोवसी ।" तरै फूलरै उसड़े हीज डील उणनूं परणाई, नै भेळी सुवांणी' । पोहर २ दिन थकां छातीतूं भींचनै जमलारी बेटी सूती थी, सु रात आधीहेक' गई, तरै फूल सावधान हुवो, आंख उघड़ी। . . इणन पूछियो-"तूं कुण ? किसो विरतंत11 ?' तरै इण सारी वात मांड कही-“इण भांत थे अचेत थका म्हारा बापरै गांव खेरड़ी
आया जमला अहीर रे । तरै जमल अोळखियो । ओ फूल हुवै । हमार प्रो अठ प्रायो छ, कदाच मरसी तो आगे ही यांसू असुख14 छै नै व015 माहोमांहि घणो असूख हसी। कहसी-“ो मुंवो, इणरा हीड़ा न किया।" पछै आपनूं तपाया, सेकिया, चेतो बाहुडै नहीं' । तरै
I मर जायगा। 2 समस्त । 3 तब गांवमें जो सयाने आदमी थे उनको बुला कर इकट्ठा किया। 4 सेंका। 5 हकीमोंने। 6 कोई बड़-कुमारी जवान लड़की इसको अपनी छातीसे भींच कर इसके साथ में सोये तो उस छातीकी अग्नि-तप्तसे यह सावधान हो। .7 तू फूलको छातीसे लगा कर इसके साथ शयन कर ! 8 इसके साथ मुझे व्याह दो तो मैं इसके साथ सोऊं। यह तो एक प्रकार से मर ही गया है, परंतु मेरे भागमें होगा तो जी जायेगा। 9 तब फूलके वैसे ही अचेत शरीरसे उसको व्याह दी और उसके साथ सुला दी। . 10 श्राधीके लगभग। II तू कौन और यह सब क्या हकीकत है ? 12 तव जमलेने पहिचाना । 13 यह फूल हो। 14 शत्रु ता, वैमनस्य । 15 और, फिर। 16 यह मर गया, इसकी परिचर्या नहीं की। 17 चेतनता लौटी नहीं।