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मुंहता नैणसीरो ख्यात
वात जाड़ेचांरी
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. जाड़ेचा जदुवंसी छे । यांनूं गीतां गुणां मांहै स्यांमा कहै छे । सु श्रीकृष्णजीरो बेटो स्यांम नै प्रदुमन वडा नांमजाद हुआ । जिण 'स्यांमरा तो स्यांमा-जाड़ेचा * कहीजै नै प्रदुमनरा जेसा भाटी कहीजै ' ।
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जाड़ेचांरी पीढी ।
१ गाहरियो ।
२ प्रोढो ।
३ ढाहर |
४ छाहर ।
५ फूल । ६ लाखो ।
७ महर । मोकळसी ।
१५ जनागर
१६ लोदी |
१७ भींव ।
१८ दलो ।
१६ साहिब ।
६ खेतसी ।
२० राहिब ।
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दलो 1
२१ वडो भीम ।
११ वडो हमीर । २२ वडो हमीर ।
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१२ रायधण नै हालो हमीररा । २३ अमर ।
२४ भोजराज ।
१३ फूल ।
१४ अलैदीयो ।
२५ वीसो ।
२६ ओठो ।
२७ हमीर बीजो"।
२८ खंगार ।
२६ भारो ।
३० मेघ ।
३१ रायधण ।
३२ तमाइची ।
वात ९ रायण भुजरा धणियांरी"
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इण भांत रायधणियांरै काछरी धरती आई। आगे काछरी धरतीरा धणी धोधा हुता" सु लाखड़ी नगर धोधो करन राज करै छै । तठै जोगी गरीबनाथ धूंधळीमलरो चेलो वडी कमाईरो धणी
1 ये जाड़ेचे यदुवंशी हैं । 2 इनको गीत, काव्य श्रादिमें स्यामा ( सामा ) कहते हैं । 3 श्रीकृष्णजीके पुत्र साम्ब और प्रद्युम्न बड़े ख्यातिवान हुए । 4 उस साम्बके वंशज तो स्यामा-जाड़ेचा (सांमा जाड़ेचा ) कहलाते हैं और प्रद्युम्नके वंशज जैसा-भाटी कहलाते हैं । 5 जाड़ेचोंकी पीढियां इस प्रकार हैं । 6 रायधरण और हाला हमीरके बेटे । 7 हमीर दूसरा । 8 रायवरण शाखाके भुजके स्वामियोंकी बात । 9 रायधरियोंके अधिकारमें कच्छका देश इस प्रकार ग्राया । 10 पहिले कच्छ देशके स्वामी धोधा क्षत्री थे ।
* कच्छ-कलाधरके लेखकने लिखा है कि जाम नरपतकी रानी चांदवा सोढीकी कोख से उत्पन्न जाम सामपतके नामसे, सामपतके वंशज 'समा' कहलाये ।