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मुंहता नैणसीरी ख्यात आया । इणनं सिद्धां दी सु धोधा वेढ हारिया । धोधो हेक भाई काठियां माहै मोरवीरै सेट्टै गयो, सु उणरै केडरा मोरवी... हळोद्र विनै छ। नै बीजा पारकर नै सांतळपुर विच, अ आया। अझै कांथड़नाथ जोगी छ । तिणरै पगै लागा' । कह्यो-"म्हांनूं गरीवनाथ श्राप दियो, राज गयो। हमें राजरो' मैहर हुवै तो म्हे. अठै टिकां । तर कांथड़नाथ कह्यो-" महारी पादुका ऊपर करावो; नै नीचे कोट कराय नै थे रहो ।” सु कांथड़री पादुका कराई। नांव लारा कांथड़कोट* करायो । उठ रया सु अजेस छै11 | गांवां ३०० महि अमल छै । यारी धरती मांहै कंथरै केड़रा जोगियांरो कर लागै छै ।
भीव ठकुराई ली, काछरो धणी हुवो"। गरीबनाथन कोल दियो थो सु सोह। पाळियो नै अलग कर जोगियांन दीजै छै'। धीणोद वां पादुका ऊपर देहुरो करायो। पाखती1 गढ करायो। ॐ जोगियांरो आसण बंधायो। भोंवर वंसरा हमैं भुजनगर राव काछरा धणी छ ।
I तब घोघे इकट्ठे हो कर भीम पर चढ़ आये। 2 इनको सिद्धोंने सहायता दी अतः घोबा लड़ाई हार गये। 3 सीमा पर । । वंशके। 5 दूसरे 1 6 यहां । 7 उसके चरण स्पर्श किये। 8 अव। 9 आपकी, श्रीमान्की । To/II कायड़नाथके नाम पर कांथड़कोट बनवाया और वहां रह गये तो अभी तक वहां पर है। 12 तीनसौ गांवोंमें ..... उनका शासन है। 13 इनकी धरतीमें कांवड़नायके वंशके योगियोंका कर लगता है। .. 14 कच्छ देशका स्वामी हुया। 15 सब । 16 पालन किया । 17 और अभी तक ... योगियों को कर दिया जाता है। 18 पार्श्व में, पास में। 19 इस समय जो भुजनगर के राव कच्छ देश के स्वामी हैं वे भीमके वंवाके ही हैं।।
* कंथड़कोटकी स्थापनाके संबंध श्री दुलेराय काराणी अपने 'कच्छ-कलाधर' : नामक संघमें लिखते हैं कि कंथकोट की नींव जाम मोडने रखी थी। यह दिन में जितना वन ... जाता था, योगी कंबलनाय अपने योगबलसे रातको गिरवा देता । मोड उसको बनवा नहीं सका। मोड मरने के बाद उसके बेटे जाम साडने योगीको प्रसन्न करके किलेको बनवानेकी प्राक्षा प्राप्त की। कंबड़नाथ के नाम पर उसने किलेका नाम कंयडकोट (कंयकोट) रखा। साधने शिलेके पास यड़नायका एक मंदिर नी वनवाया जो अद्यापि स्थित है। ... .