________________
मुंहता नैणसीरो ख्यात
[१५७ .. ६ वेणीदास गोयंददासोत । संमत १६७२ रड़ोद आसोपरो गांवां
३ तूं पटै दी थी'। सं० १६७८ रड़ोद राजसिंघजीनूं दी, तरै घरै आयो । पछै सं० १६८० अणवांणो गांवां ३ सूं दियो थो। सं०. १६८५ गहलो हुवो, पछै राम कह्यो । . ७ राजसिंघ वेणीदासोत । अणवांणो पटै हुतो।
५ रतन । ८ दळपत ।
६ प्रथीराज गोयंददासोत, पूरांबांई महेवचीरो बेटो । सं० १६७२ आसोप, लवेरो बेहूं' पटै। रामसिंघ भेळो' पटो दियो थो। पर्छ आसोप राजसिंघजी दियो, तद' लवेरारो पटो प्रथीराजनूं हीज दियो थो। सं० १६७७ पछै अमरसिंघजी साथै गयो । पछै वळे आय वसियो, तरै लवेरारो पटो दियो । राजा जसवंतसिंघजी पण घणी मया कीवी । सं० १७०४ प्रधान कियो। रुपिया ४००००) रो पटो दियो थो । पछै वास छूटो° । सं० १७०६ पातसाहजीरै वसियो । सं० १७२० मुंवो' ।
७ सबळसिंघ प्रथीराजोत भलो रजपूत थो । संमत १७१६ रा।। इंद्रभाण केसरीसिंघोत गांव डेह वसी ऊपर प्रायो, तद सांम्है जाय वेढ कीवी । आदमी ८० थी कांम आयो ।
८ जैसिंघ।
भाटी सुरतांण मानावत, प्रांक ५, वडो रजपूत हुवो। दातार, जूंझार, कामरो माणस । मोटै राजा केलावो पटै दियो थो। संमत . १६६२. सूधो रह्यो । केलावो, लवेरो, विकूकोहर गांव २०सूं पटै थो।
I सम्बत् १६७२में श्रासोपका रड़ोद तीन गांवों के साथ पट्ट में दिया था। 2 तव घर पर आ गया। 3 संवत् १६८० अग्णवारणा तीन गांवों के साथ पट्ट में दिया था । संवत् १६८५में वह पागल हो गया और मर गया। 4 पूरांवाई महेवचीका बेटा । 5 संवत् १६७२में
ग्रासोप और लवेग दोनों पट्टेमें। 6 शामिल । 7 तब । 8 बादमें फिर पाकर चाकरीमें
. रहा तब लवेराका पट्टा दिया। 9 राजा जसवंतसिंहजीने भी उस पर बड़ी कृपा रखी, सम्बत् ....... १७०४ में उसे प्रधान बनाया और रुपये चालीस हजारका पट्टा दिया था। Io/II फिर
नौकरी छूट गई तव संवत् १७०६मे बादशाहकी चाकरीमें रहा। 21 सम्बत् १७२०में मर ‘गया। 13 ८५ मनुष्यों के साथ काम आया। 14 दातार, जूझार और उपकारी मनुष्य । : 15 सम्वत् १६६२ तक रहा। .