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४ किस
मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १६१ वाळो थी। संमत १६५८ भोवादो, ढीकाई दोवी। सिवाणैरो गढ़
हवाल । ...७ मनोहरदास । ७ वरसिंघ । ७ नरसिंघदास। ७ गोपाळदास । ७ अखैराज ।
७ लिखमीदास । उजेण काम आयो । ७ सांवळदास । ६ जगमाल भोपतोत । दिखण में राम कह्यो । ६ कान्ह भोपतोंत । गोयंददासजीरै वास । साथै काम आयो । ४ किसनो नींबारो। फळोधी राव मालदेजीरै काम आयो ।
४ रिणमल नींबारो। जोधपुर गढरोहै राव चंद्रसेणर रांमप्रोळ भिळी तठे काम आयो ।
___५ माधो रिणमलोत । संमत १६६५ राजगियावास सोझतरो पटै। सुरतांणजीरै वास । अचळदास साथै काम आयो ।
५ वाघ रिणमलोत ।
६ लिखमीदास वाघोत । .... ४ गांगो नींबारो। राव चंद्रसेणरै विखैमें जोधपुर गढरी प्रोळ
हाथो दे काम आयो । ...... . ५ कलो गांगावत । संमत १६४० मढली लवेरारी थी। संमत
.. १६४१ रोहणवो, लवेरारी वासणी थी । .....६ हरीदास कलावत । संमत १६७१ वेठवासरो पांनो प्रथीराजरा चाकर थकानूं । सं० १६८६ हyडियो पटै । संमत १६८७ छाड
सम्वत् १६४० में लवेराकी बासणी और गंगावाळी गांव पट्ट में थे। सम्वत् १६५८ में भोवादी और ढीकाई गांव दिये गये और सिवानेका किला हवाले किया गया। 2 लिखमीदास उज्जैनमें काम आया। .3 दक्षिणमें मरा। 4 गोयंददासके यहां चाकरीमें और उसके साथ काम आया। 5 जोधपुरके गढ़ पर राव चंद्रसेनके गढरोहे (गढके द्वार में शत्रु सेनाका प्रवेश रोकने के लिये एवं गढकी रक्षार्थ गढके द्वार पर नियुक्त चुने हुए वीरोंकी सैनिक टुकड़ी) की लड़ाईमें जब गढकी रामपौल पर शत्रु ओंका अधिकार हो गया, उसकी रक्षार्थ लड़ाईमें यह काम प्राया। 6 राव चंद्रसेनके विखेमें जोधपुर गढकी पौलमें हाथा देकर काम आया। 7 सम्वत् १६४० में लवेराका मढली गांव पट्ट में था। सम्वत् १६४१ में रोहणवा और लवेराका बासणी गांव पट्ट में थे। 8 सम्वत् १६७१ में वेठवास गांवका एक भाग पृथ्वीराजका चाकर होते हुए उसके पट्टे में था। ..