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. मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १६७ ५ गोयंददास किसनावत । संमत १६४० ढीकाई पटै । संमत १६४६ भगतावासणी। संमत. १६५७ अांनावस पटै'।
६ मनोहरदास गोयंददास जीवतां हीज अजमेर गोयंददासजी साथै काम आयो । . ७ कुंभो मनोहरदासोत । संमत १६८८ अांनावस थो । पछै अमरसिंघजी साथै गयो थो, पाछो आयो तद नांदियो पटै दियो ।
८ ........ 'नांदियो पटै। ८ अखैराज । ८ रतन । ८ मेघराज । ७ भांण मनोहरदासोत, उजेण काम आयो। ८ पतो। ८ द्वारकादास ।
५ गांगो किसनावत । संमत १६४३ अांनावस पटै । संमत १६५७ दिखण काम आयो ।
५ तोगो किसनावत । ४ वीरमदे रामावत, वालरवो पटै।।
५ रायसिंघ वीरमदेप्रोत । राव चंद्रसेनरै विखा माहै भाद्राजण .... थो, तद रा।। वैरसल प्रथीराजोत, गोपाळदास मांडणोत, ऊहड़, जैमल . इणां च्यारां ठाकुरांनूं सोबत लूटण मेलिया थो, तठे काम आयो ।
६ केसोदास रायसिंघोत । संमत १६४० चोपड़ो पटै । पछै चांमं पटै । पछै छाड्नै किसनसिंघजीरै वसियो । पछै वळे पायो । संमत १६७४ कराड़ी पटै दीवी । पछै सं० १६७५ भंवरांणी गांव ४सू
___I सम्वत् १६४० में ढीकाई गांव, सम्वत् १६४६में भगतावासणी गांव और सम्बत् १६५७में आनावस पट्ट में मिले । 2 मनोहरदास गोयंददासके जीते-जी ही अजमेर चला गया
और गोयंददासके साथ काम आया । (मूल पाठ-'मनोहरदास गोयंददासोत । अजमेर गोयंददासजी साथै काम प्रायो' एक जीर्ण प्रतिमें ऐसा पाठ प्रतीत होता है ।) 3 सम्वत् १६८८में यानावस पट्टेमें था। 4 सम्वत् १६५७में दक्षिणकी लड़ाईमें काम आया। 5 रायसिंह राव चंद्रसेनके विखेमें भाद्राजुन डेरेमें साथमें था, तब राव वैरसल पृथ्वीगजोत, गोपालदास मांडणोत, ऊहड़ और जैमल-इन चारों ठाकुरोंको घोड़ोंके काफिलेको लूटनेके लिये भेजा था। इस लड़ाई में रायसिंह भी काम आया। 6 पीछे छोड़ कर के किशनसिंहजीके यहां रह गया । 7 फिर वापिस आया तब सम्वत् १६७४में कराड़ी गांव पट्टे में दिया।