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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ १६६ ८ लखो जगनाथोत । . ७ अमरो भाखरसीयोत । ७ सादूळ भाखरसीयोत ।
८ सबळो। ८ भावसिंघ।
७ जैतमाल भाखरसीयोत । - ६ सांवळदास भांनीदासोत । संमत १६६१ त्रिगठी पटै दीवी थी। सं० १६६५ ब्रमावासणी दी थी। संमत १६६६ सांवत-कूवो' । संमत १६७० कंवर श्री गजसिंघजी भा।। गोयंददोसजी कुंभळमेर लियो तट रांणारै साथसू वेढ हुई, तठै काम आयो । __७ वाघ सांवळदासोत । संमत १६७० त्रिगंठी पटै थी।
६ नरहरंदास भांनीदासोत । संमत १६६३ भांहरो पटै । सं० १६७३ चांवड़ियाख सोझतरो पटै । सं० १६७४ बोळ सोझतरी पटै । सं० १६८१ जूढ पटै । सं० १६८४ गढी काम आयो । भगवानदासजी भेळो।
७ रामचंद नरहरदासोत । संमत १६८४ जूढ बरकरार । सं० . १६६१ अमरसिंघजी साथै गयो ।
८ करन रामचंदोत । ७ रुघनाथ नरहरदासोत । ७ करमचंद नरहरदासोत ।
५ ईसरदास वीरमदेश्रोत । राव चंद्रसेण सोबत ऊपर साथ विदा कियो, तठै रायसिंघ भेळो काम प्रायो' ।
५ भगवानदास वीरमदेयोत । राव चंद्रसेण विखा. . . . 'था प्रायो, सवराड़ वेद की तठे काम प्रायो' ।
1 सम्बत् १६६१में विगठी गांव पट्ट में दिया था, सम्वत् १६६५ में ब्रह्मावासणी और सम्वत् १६६६में सांवत-कूत्रा पट्ट में दिये थे। 2 सम्वत् १६८० में कुंवर गजसिंहजी और भाटी गोयंददासजीने कुंभलमेर पर अधिकार किया, वहां राणाकी सेनासे लड़ाई हुई उसमें " काम प्राया। 3 सम्वत् १६६३में भोहरा गांव, सम्वत् १६७३में मोजत परगनेका चांवडियाख गांव, सम्वत् १६७४में सोजत परगनेका बोळ गांव और सम्बत् १६८१में जूह गांव पड़े में थे। सम्बत् १६८४में गढी में भगवानदासके साथ काम प्राया। 5 सम्बत् १६८४में जट कायम । सम्बत् १६६१में अमरसिंहजीके, साथ गया। 6 गय चंद्रसेनने वोटोंके काफिले
को लटने के लिये जो यादमी भेजे थे, उनमें रायसिंहके साथ पाम प्राया। 7 राव चंद्रमनले ' विरो.... साया उससे सवराड़ गांव में लड़ाईकी, जिसमें काम प्राया।