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१८४ ] . मुंहता नैणसीरी ख्यात
७ आसो प्रागदासोत। ७ विहारी प्रागदासोत । ६ वीठळदास सांवळदासोत अांधो थो। ७ नाथो।
५ कलो संसारचंदरो। मांडणजीरै वास थो, पछै रावळ वसियो । संमत १६४३ कुंपावस सिवांणारो गांवां सूं दियो। पछे संमत १६५७. . दिखणमें अहमदनगरमें मुंवो।
६ मनोहरदास कलावत । सं० १६५७ कूपावस धनराज भेळो.. दियो । पछै सं० १६६३ नरसिंघदास भेळो। संमत १६६७ माधोदास : भेळो ।
६ माधोदास कलावत। संमत १६६७ कुंपावस मनोहरदास भेळो। पछै रामदास भेळो ।
७ उदैसिंघ । ८ महेसदास । ६ महेसदोस कलावत । ७ नाथो।
५ कचरो संसारचंदरो। वडो रजपूत। मांडणजीरै वास। पूरबमें कांम आयो। ___६ सादूळ कचरावत । रा।। खींवाजीरै वास थो। पछै राजसिंघजीर वास ।
७ मोहणदास । ६ सुरजन कचरोवत । राजसिंघजीरैसूं छाड़नै भावसिंघ काना
___I विट्ठलदास सांवलदासोत अंधा था। 2 पहिले मांडणजीके यहां रहा था फिर जोधपुर महाराजाके यहां रहा। सम्वत् १६४३में सिवाना परगनेका कूपावस गांव अन्य दो गांवोंके साथ पट्टी में दिया था। फिर संवत् १६५७में अहमदनगर, दक्षिणमें मरगया। 3 संवत् १६५७ में कूपावस गांवको धनराजके शामिल, सम्बत् १६६३में नरसिंहदासके शामिल और : संवत् १६६७में माधोदानके शामिल पट्टेमें दिया था। 4 संवत् १६६७में कू पावस गांव मनोहरदासके दामिल और फिर रामदासके शामिल । 5 बड़ा वीर राजपूत । मांडणजीके यहां नौकर । पूर्वमें काम पाया। 6 राव खीवाजीके पास पहले रहा था, फिर राजसिंहजीके. यहां रहा ।