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मुंहता नैणसीरी ख्यात
कह्यो - " वेगा आवो, म्हे थांहरा चाकर छां ।" पछै पातसाहजी जेसळमेररो टीको देनै सवळसिंघनं विदा कियो । साथ खरचरी मदत रा ।। रूपसिंघ करी । पछे सवळसिंघ जोधपुर आयो । महाराजाजी घोड़ा सिरपाव, खरच दियो । सवळसिंघ पर्छ फळोदी आयो । अ साथ चाकर राखिया । फळोधीरी कुंडळ मांहै भोजासर तळाव ऊपर डेरो छै । आदमी ७०० तथा ८०० चढिया पाळा सवळसिंघ साथै छै'। नै जेसळमेररो साथ सेखासर पर जवणारी तळाई, धारारी तळाई छै, तठे डेरो छै । मांणस १५०० तथा १७०० छै । मांहै सिरदार भाटी सीहो गोयंदोत छै । और पोकरणरो साथ केल्हण सारा साथै छै । तिणां ऊपरा' रावळ सवळसिंघ चलायनै गयो; तरै इतरा सिरदार सबळसिंघ कनै छै -
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१ भा । केसरीसिंघ सकत सिंघोत ।
१ भा ।। द्वारकादास ईसरदासोत ।
१ भा ।। हरिसिंघ सकतसिंघोत ।
३ भा || मोहणदास, जगनाथ, उदभांण ईसरदासोत ।
१ भा । । विहारीदास दयाळदासोत ।
१ भा ।। अचळदास गोयंददासोत । १ भा ।। गोयंददास ईसरदासोत । १ भा ।। गिरधर गोवरधनोत । १ भा || मोहणदास किसनदासोत ।
१ भा || राजसिंघ भगवानदासोत ।
१ भा ।। रांमचंद गोपाळदासोत ।
राव रूपसिंहने साथ के
1 सवके गुप्त पत्र सबलसिंहको मिले कि 'जल्दी ना जाओ, हम तुम्हारे चाकर हैं । 2 वादशाहने जैसलमेरका टीका देकर सबलसिंहको रवाना किया । 3 श्रादमियोंके खर्चेकी मदद दी । 4 महाराजा जसवंतसिंहजीने घोड़ा, सिरोपाव और खर्चा दिया । 5 यहां इसने अपने ग्रादमी और चाकरोंका संगठन किया । 6 फलोदी कुंड गांव में भोजासर तालाव पर डेरा लगा रखा है 1 7 सातसो ग्राठसी सवार और पैदल आदमी सवलसिंह के साथ में हैं । 8 और जैसलमेरकी सेना सेखासर गांवके परे जवरणा और धाराको तलाइयों पर डेरा डाले हुए है । 9 उनके ऊपर | 10 उस समय सवलसिंह के पास इतने सरदार हैं ।