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मुंहता नैणसीरी ख्यात भाटियांरी तरफ । मोटा राजारो साथ काम प्रायो। मोटो राजा आप नीसरियो फळोधी प्रायो, भाटी फळोधी सैहर ऊपर नहीं आया। डूंगरसीरा बेटा
६ राव उदैसिंघ विकूपुर धणी। बळोच समै राव यासकरण : . पूगळरो घणी मारियो हुतो, सु उदैसिंघ समानूं घणा साथसूं मारियो, वडो दावो वाळियो । नै मेहेवै तलवाड़ा ऊपर कवरपदै उदैसिंघ गयो हुतो; तठे वेढ उदैसिंह कँवरपदै हारी थी, तठे घणो साथ मारियो । हुतो।
६ देवोदास डूंगरसीरो। राव उदैसिंघरा बेटा, अांक :१० राव सूरसिंघ ।
१० ईसरदास, सिरड़ वसियो थो। संमत १६८५ भा. वस्तै फळोधी थकै हाकम थकै मारियो ।
११ रुघनाथ । ११ हाथी। ११ नाहरखांन । ११ लिखमी-... दास । ११ पूरो। ११ सहसो ।
१० करन राव अचळदास विक्रमादीयोत मारियो । १० रासौ उदैसिंघरो, बीकानेर चाकर । वीठणोक कनै जाय...
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___1 भाटियोंकी तरफमें वरसलपुरका ठाकुर राव मंडलीक इस लड़ाई में काम आया। . 2 मोटाराजा भाग कर फलोधी आ गया, लेकिन भाटी उसका पीछा करके फलोधी शहर पर . नहीं आये। 3 समा वलोचने पूगलके स्वामी राव प्रासकरणको मार दिया था इसलिये उदयसिंहने समाको उसके कई आदमियोंके साथ मार दिया, शत्र ता का बड़ा बदला चुकाया । 4 उदयसिंह कुवरपदेमें मेहवेके तिलवाड़ा गांव पर चढ कर गया था, जहां बहुतसे आदमियोंको ... उसने मार दिया था, लेकिन इस लड़ाईमें वह हार गया था। (वि०-तिलवाड़ामें लूनी नदीके पाटमें भक्त रावल मल्लीनाथ और उनकी पत्नी रानी रूपांदेके नामसे प्रति वर्ष चैत्र कृ. ११... ' से चैत्र शु. ११ तक मारवाड़ का प्रसिद्ध व्यापारी मेला (चैत्री का मेला) लगता है । तिलवाड़ासे लूनी नदीके उस पार थान गांवके पास रावल मल्लीनाथजी का ऊंचा और बड़ा मंदिर बना... हुअा है। वहांसे कुछ ही दूर मालाजाळ गांवमें रानी रूपांदे का मंदिर भी बना हुआ है । .... राठौड़ों की मारवाड़में सर्व प्रथम राजधानी खेड़पट्टन (क्षीरपुर) से तिलवाड़ा चार मील है. . और खेड़ प्रसिद्ध व्यापारिक केन्द्र वालोतरासे पांच मील पश्चिममें है ।) 5 ईशरदास सिरहड़में...... बस गया था। सम्वत् १६८५में जब वह फलोवीमें हाकिम था, वस्ताने उसे मार दिया था।