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मुंहता नैणसीरी ख्यात
१६६६ राजाजी दिखण थी गुजरात मांहै हुय देस पधारिया, तद साथै हुवौ आयो । पिण पातसाहजी बुरो मांनियो । पछे संमत १६७१ रावळ वसियो । दूधवड़रो पटो वळं दियो ।
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१० दयाळदास गोपाळदासोत । संमत १६६७ रावळ वसियो । ओळवी पटै । पछे संमत १६७८ भाद्राजणरो पटो गांव २४सू दियौ । पछे संमत १६८२ भाद्राजणरो पटो छाडने ओोळवीरो हीज पटो राखियो । भाद्राजण छीतरदास र हतो | गोपाळदासजी. चाकरी न करै । पछै वळे संमत १६६० जाळोररो फोजदार कियो ?, उठै राव रायमल उदैसिंघोत महेवचानूं पकड़ियो; रोकियो, पछै छोडियो । पछे संमत १६६१ जाळोररी हाकमी उतरी । पटों उतरियो । पछे दूधवड़ था वसी छाड़ने बारं गूढो कियो थो" । संमत १६६१ जेठ सुदि ११ रै दिन राव चांद वाघोत महेवचो मेवाड़ राणाजीरै वास थो, सु साथ कर ऊपर ग्रायो, दयाळदासनूं मारियो । ११ छीतरदास दयाळदासोत । पैहली गोपाळदासजीरी बिजाई चाकरी करतो" । पछे संमत १६६० दूधवड़रो पटो दयाळदासनूं दियो, तद ओळवीरो पटो दियो थो पछै संमत १६६२ छाड़ने अमरसिंघजी साथै गयो थी । पछे व पाछो ग्रायो, तरै संमत १६६५ भाद्राजण पटो राजसिंघ था भेळो दियो । राजसिंह जसवंतोत नूं. भाद्राजण पटै थो, सु मोहा-मांही छीतर नै राजसिंघ जसवंतोत उपा हुवो 14, तठे रा ।। राजसिंघ जसवंतोत छीतरदासनं भाद्राजगरे कोट मांहै मारियो ।
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2 लेकिन वादशाहने बुरा माना । 3 फिर दूधवड़ गांवका और पट्टा कर दिया । 4 १६८२में भाद्राजुनका पट्टा छोड़ कर केवल वीका पट्टा ही रखा। 6 भाद्राजुन छीतरदासको मिला हुआ था। 7 वादमें फिर सम्वत् १६६० में जालोरका फौजदार नियुक्त किया । 8 तव सम्वत् १६६१ में जालोरकी हाकमी उतर गई । 9 गांवोंका पट्टा भी उतर गया (जागीरी भी खोस ली गई ) । 10 फिर दूधवड़की वसीको छोड़ कर वाहिर गुढा करके रहा था । II मेहवचा राव चांद वाघोत मेवाड़ राजी का चाकर था, वह सम्वत् १६९१ जेठ सुदी १ को अपने आदमियोंके साथ चढ़ कर श्रायां और दयालदासको मार दिया । 12 पहले गोपालदासजीकी विजाईमें चाकरी करता था । 13 तव सम्वत् १६६५ राजसिंह के साथ में भाद्राजुनका पट्टा कर दिया था। 14 सो छीतर," और राजसिंह जसवंतोत के परस्पर झगड़ा हो गया ।
1 तव यह भी साथ में होकर आ गया । सम्वत् १६७१ जोधपुरमें चाकर हो गया । तब मोलवी गांव पट्टे में | 5 लेकिन बादमें सम्वत्