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मुंहता नैणसीरी ख्यात . [१४७ ११ राजसिंघ दयाळदोसोत । पैहली भाद्राजणरो पटो छीतरदास · भेळो थो' । पछै संमत १६९६ समदोळाव गांव ४ सूं पटो दियो ।
११ केसरीसिंघ दयाळदासोत । संमत १६६२ खेजड़लारो पटो गांव ४ सूं।
११ भगवानदास दयाळदासोत । दयाळदास भेळो काम आयो । ११ तेजसिंघ दयाळदासोत ।
६ नराइणदास पासावत । राजा मानसिंघजीरो चाकर । पछै राजा राम कह्यो, तद रावळे वसियो थो | संमत १६७३ मेड़तारी कुड़कीरो पटो थो । संमत १६७६ मेड़तारो पटो उतरियो तद पाछो राजा भावसिंघरै वसियो । .६ रूपसी आसावत । संमत १६४१ वोपारी सोझतरी गांव ३ दी थी' । पछै संमत १६५१ गूढो जोधपुररो पटै । वडो रजपूत थो।
१० सिंघ रूपसीयोत । संमत १६६७ रिवड़ी सोझतरी पटै' । संमत १६७७ मल्हार पटै थो1 ।
११ रामदास । ११ प्रथीराज ।
१० जगनाथ रूपसीयोत । पैहली दयाळदासजीरै चाकर थो। पछै संमत १६७३ दोढोळाई मेड़तारी दी थी11 । संमत १६८५ आगरै थी पावतां मारांणो12 ।
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। राजसिंह दयालदासोतको भाद्राजुनका पट्टा पहिले छीतरदासके शामिल था। 2 वादमें सम्बत् १६६६में समदोलाव गांवका चार अन्य गांवोंके साथ पट्टा कर दिया। 3 दयालदासके साथ काम पाया। 4 राजा मानसिंहजीका चाकर था। जब राजाजी मर गये तब वहीं रह गया था। 5 सम्बत् १६७३में मेड़ते परगनेके कुड़की गांवका पट्टा था। 6 सम्वत १६७६में जब मेड़ताका यह पट्टा उतर गया तब वापिस राजा भावसिंहके यहां बस गया। 7 सम्वत् १६४१में सोजत परगनेका वोपारी गांव तीन अन्य गांवोंके साथ पट्टे में दिया था। 8 फिर सम्वत् १६५१में जोधपुर परगनेका गुढा गांव पट्ट में था। 9/10 सम्वत् १६६७में सोजत परगनेका रिवड़ी गांव और सम्वत् १६७७में मल्हार पट्ट में थे। IT फिर मेड़ते परगनेका दोढोलाई गांव सम्वत् १६७३ में दिया था। 12 सम्वत् १६८५में प्रागरासे प्राता हुआ मारा गया।