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मुंहता नैणसीरी ख्यात . [ १३७ .. नींबली-तिण कोहर ह, सर बांभणांवाळो तळाव वडो', वेरा ... पार में। .:
भरोसर-केई कहै विकूपुररो, के कहै जुदो । पारमें वेरां पांणी घणो। विकूपुर था कोस १६, फळोधी था कोस २२, वीकानेर था कोस २५ । पूगळरा धणी
१ राव केल्हण केहररो। २ राव चाच केल्हणरो । ३ राव वैरसल चाचारो। ४ राव सेखो वैरसलरो। ५ राव हरो सेखारो। ६ राव वरसिंघ हरारो। ७ राव जेसो वरसिंघरो ।
राव जेसो वरसिंघरो पूगळ धणी हुवो। मरोट पिण ली हुती । वडो अखाड़सिध-अभंगनाथ हुवो । कहै छै राव जेसे बावीस वेढ जीती । वडा-वडा बोल वाळिया। आप मरोट पिण केहेक दिन रहतो । पछै मुलतांणरी फोज ऊपर आई तटै राव जेसो काम आयो ।
वात एक: राव मालदेव गांगावत घणूं तपियो, तरै सारां गढां, पाडो- सियांनूं धकाया1 | सु पूगळ ऊपर राव मालदेवरी फोज घणो साथ
आयो हुतो, पण तिणांरा गांव इण कांठ नहीं, नै राव भांण
1 जिसमें कुँएँ । 2 ब्राह्मणोंवाला-सर नामक तालाब बड़ा है। 3 भरोसर गांवको कई तो विकूपुरका कहते हैं और कई कहते हैं कि वह जुदा है। 4 मारोठ भी इसने ले लिया था। 5 बड़ा रण-कुशल और अजेय वीर हुआ। 6 कहते हैं कि राव जैसेने २२ लड़ाईयां जीतीं थीं। 7 बड़ी-बड़ी प्रतिज्ञाओंका पालन किया। (शत्र ओंका प्रतिशोध किया) 8 कई एक दिन (कभी-कभी) मारोठमें भी रहा करता था। 9 फिर जब मुलतानकी सेना चढ कर पाई उसमें राव जैसा काम आ गया। 10 राव मालदेव गांगावतने बहुत समय तक और जबरदस्त शासन किया। II उस समय सभी गढ (गढ़पतियों) और पाड़ोसियोंको . परास्त किया। 12 राव मालदेवकी बहुत बड़ी सेना पूगल पर चढ कर आई थी। 13 लेकिन इस पोरकी सीमा पर इनका कोई गांव नहीं।