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- मुंहता नैणसीरी ख्यात । [ १३१ .. रयो, तिका ठोड़ रासारो-गुढो हमैंही कहीजै छै । वस्ती घर ५०० . तथा ७०० सदा रहता'।
११ वाघ । ११ सबळ सिंघ । ... १० अरजन। ... १० कचरो, बीकानेररो चाकर । मांडाळ वसियो ।
१० राव सूरजसिंघ उदैसिंघोत । विकूपुर धणी हुवो। वडो ठाकुर अभंगनाथ हुवो । वडा-वडा प्रवाड़ा खाटिया | एक बार मोहबतखांननूं नागोर , तद घणो साथ बीकानेर, नागोर फळोधीरो ले ऊपर
आयो , तद रावं आदमी २००० तथा २५०० केल्हण सारा भेळा कर पाधरो वाप जाय उतरियो । पछै मुहतो जगनाथ फळोधीरै हाकम वीच फिरने वात की।
संमत १६६२ प्रथीराज, अखैराज दलपतोत राव उदैसिंघ वाघोतरै - दावै हमीरां-भाटियां ऊपर दोडिया हुता । तिण दिन राव सूरज
सिंघ नै कँवर बलू विरस' हुवो थो, सु बलू विकूपुरतूं छाडनै कैरडूंगररी पाखती आयो थो। तठे पोकरणरा थांणारो साथ भा।। दुरगदास, मेघराजोत, भा।। द्वारकादास, एका हमीर बलूनूं मनावण सारा भाटी नै राव सूरसिंघ आया था। उठे वाहाऊ आयो त? राव सूरसिंघ, बलू, भा।। दुरगदास मेघराजोत, भा।। द्वारकादास ईसरदासोत, भा।। रुघनाथ ईसरदासोत, एको हमीर, सिगळो राहावणो
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I रामा उदयसिंह का बेटा, बीकानेर महाराजा का चाकर। वोठणोक गांवके पास . जाकर रहा . (नई वस्ती बसाई) वह स्थान अभी तक 'रासा-रो-गुढो' कहा जाता है। वहां
५००/७०० घरों की वस्ती सदा रहती है। 2 कचरा बीकानेर महाराजा का चाकर । मांडाळ गांवमें रहा। 3 बड़ा निर्भय और वीर ठाकुर हुआ। 4 बड़े-बड़े युद्ध जीत कर कीर्ति प्राप्त की। 5 एक बार नागोर जब मोहवतखांके अधिकारमें था। 6 चढ कर पाया। 7 तव रावने दो-ढाई हजार सारे केल्हण-भाटियोंको इकट्ठा करके सीधा वाप जाकर डेरा डाला। 8 पीछे फलोधीके हाकिम मुहता जगन्नाथने बीच में पड़ कर के सुलह करवा ली। 9 सम्वत् १६६२में राव उदयसिंह वाघोतकी शत्रु ताका बदला लेनेके लिये पृथ्वीराज और अक्षराज दलपतोत हमीर-भाटियोंके ऊपर चढ कर आये थे। 10 उस दिन । II वैमनस्य । 12 इसलिये बलू विकू पुर छोड़ कर के कैर-डूंगरीके पास आकर रह गया था। 13 दूत ।