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..:: मुंहता नैणसीरो ख्यात.
[ १२६. १० मनोहरदास ।
सिंघ। १० भगवान१० सुंदरदास । १० जस
दास । १० बलु। वंत। १० सांमीदास । १० पूरो। १० रांमो। १० सांवळदास । ६ मान- ६ रतनसी।
८डूंगरसी दुजणसलरो, विकूपुर धणी हुवो। वडो ठाकुर हुवो। तद मोटो राजा फळोधी वसै छै। तद दांण घणो धरती माहै - लागतो' । तद सोबत सोदागरांरी फळोधी आवती हुती । सु रात्र
डूंगरसी आपरा भाई भांनीदासन सोबत सांम्हो मेल', सोबत तेडाय', . दांण लेन सोबत आघी चलाई । नै मोटे राजा साथ सांमहो मेलियो हुतो, तिण(सूं) भाटी भांनीदास सोबत पोहचायनै पाछो मांडणसर उतरियो थो', तटै राव जैसावत और साथ जिणां भाटी भांनीदासनूं मारियो', तोही राव डूंगरसी गई करतो हुतो', पण मोटो राजा भाटियांसू पगे-पड़ियो आवै, ऊपरा-ऊपर बुराई करै, वाळेसर मारियो । तरै राव डूंगरसी सारा केल्हण भेळा करनै माणस २५०० सूं कुंडळ मांहै रावर तळाव आय उतरियो। मोटो राजा चढनै आदमी ५०० तथा ७०० सूं भाटियां ऊपर गयो, तठे संमत १६२७ रा आसोज उतरतै, काती लागतां वेढ हुई । वेढ भाटियां जीती । मोटै राजा वेढ हारी। राव मंडळीक वैरसलपुररोधणी इण वेढ काम आयौ,
- I उस समय देशमें महसूल (राहदारी) बहुत लगता था। 2 उन्हीं दिनों सौदागरोंकी एक घोड़ोंकी सोहबत फलोधीको आ रही थी। 3,4,5 इसलिये राव डुगरसीने अपने भाई भानीदासको सोहवतके सामने भेज कर सोहबतके सौदागरोंको बुलवाया और राहदारीकी चुगी लेकर उस काफिलेको आगे जाने दिया। 6 इधर मोटे राजाने भी काफिलेके सामने अपने आदिमियोंको भेजा था। 7.8 भाटी भानीदास सोहवतको अपने मार्ग पर डाल
और वहांसे रवाना होकर मांडणसर गांवमें ठहरा था, वहां रावके जैसावतों और दूसरे प्रादमियोंने भानीदासको मार दिया। 9,10 राव डूगरसी तो तोभी गई कर रहा था, परन्तु मोटा राजा तो पांव पछाड़ता हुया भाटियोंके पीछे लगा हुआ था, (छेड़खानियां करता ही रहता था।) . 11' बुराई पर बुराई (छेड़-छाड़) करता ही रहे, उन्हीं दिनों बालेसर गांवको भी लूट लिया। 12 तब राव डूंगरसीने सभी केल्हण-भाटियोंको इकट्ठा करके २५०० प्रादमियोंके साथ कुडल गांवमें रावके तालाब पर पाकर डेरा डाल दिया। 13 मोटा राजा भी अपने ५००/७०० आदमियोंके साथ भाटियों पर चढ़ कर आ गया। वहां सम्वत् १६२७के उतरते आसोज और कार्तिक मासके लगते लड़ाई हुई ।