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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ६६ पछै रावळ सिव आयो, नै भैरवदास पण आय मिळियो । तरै गांव मांगिया । भैरवदास गांव दै नहीं। तरै रावळ भैरवदासनूं मारियो । गांव लूणोईरी तळाई सिवथा कोस ४, हड़वैसू कोस १॥ माणस ७सूं कांम आयो । भैरवदास मारनै टीको रांण किसनै भैरवदासरा बेटानूं दियो। नै जेसो भैरवदासोत, भांण नारणोत हड़वारो धणी, भगवान हरराजोत भालाही वाळो बाहिर नीस रिया । इणे घणा विगाड़ किया। रावळरै महेवै जाय रह्या । वडो विगाड़ कियो । पछै बरसे ७ जेसानूं कोटड़ारो अाधो दे पाछो प्रांणियो' ।
वात रावळ भीम जेसळमेर पाट छै । ऊहड़ गोपाळदासरै बेटै उरजन, भोपत, मांडण, पोकरणरा गांव घणा मारनै वित ले नीसरिया । पोकरणरा थांणादार भा ॥ कलो जैतमलोत, भा॥ पतो सुरतांणोत, भा ॥ नादो रायचंदरो, अ चढिया । वाळसीसर आया । वांस रातीवाहैरै मिस ऊहड़े जायनै साथ कोढणाथी तेडायो', सु राते आयनै भेळो हुवो' । इणां सवारै वित टोळनै खड़िया' । नै पोकरणरो साथ आडो प्रायो। वेढ हुई। त? इतरो साथ भाटियारो कांम आयो14. एको कलो जैमलरो। एक नेतो जैमलरो ।
I रावल तब शिव गांवको गया और वहीं भैरवदास भी आ मिला। 2 लूणोई गांवकी तलाई, जो शिव गांवसे ४ कोस और हड़वे गांवसे १॥ कोस पर है, सात आदमियोंके साथ (भैरवदास) काम आया। 3 पर भैरवदासको मारनेके बाद टीका भैरवदासके बेटे राणा किसनाको ही दिया गया। 4 विद्रोही होकर निकल गये। 5 इन्होंने लूट-खसोट आदिसे बहुत नुकसान किया। 6 मेहवे जाकर वहांके रावलके यहां रह गये। 7 सात वर्षोंके बाद जैसाको कोटड़ेका प्राधा भाग देकर वापिस बुला लिया। 8 पोकरणके कई गांवोंमें लूट-खसोट करके वहांकी मवेशी लेकर निकल गये। 9 ये लोग पीछे चढे । 10 पीछेसे रात्र्याक्रमणके मिस ऊहड़ोंने कोढणा जाकर आदमियोंको बुला लाये। II रातमें
सब साथ इकट्ठा हो गया। 12 ये दूसरे दिन प्रात: मवेशी हांक कर रवाना हो गये । ............ 13 तव पोकरण वालोंने पाडे आकर मार्ग रोक लिया और लड़ाई हुई। 14 वहां पर
भाटियोंका इतना साथ काम आया ।