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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[६१ पिण सास्त्र पुरांण माहै सुणां छां', कँवारांनूं गत नहीं । आभा मांहै प्रो कँवार-मग वतावै छै । तरै राव दूदै विचार दीठो -" जुआ डावड़ी पण कँवारी छै नै ओ पण रूड़ो रजपूत छै ।" तरै प्रापरी दीकरी धाऊ भेछळेनूं परणाई", सु वा दीकरी पण सवारै इग्यारस थी, सु सत करने बळी' । नै रावळ प्रोळरा किंवाड़ नांख नै दूदो तिलोकसी गढसूं लड़णनूं ऊतरिया, सु साथै २५ तो रजपूत नेमणीयायत उतरिया; बीजो ही घणो साथ ऊतरियो । वेढ हुई सु तिलोकसीरै मुंहडै पांजू पायक आयो सु तिलोकसी पांजूनूं झटको वाह्यो'", सु पांजूनूं सरूं खेलणरी उरजस थी", हाथ-पग भेळा कर कुळाचसू झटको टाळतो थो सु सारै ही डीलमें तरवार वह गई, नव टुकड़ा हुय पड़ियो14 । साख-तील्हरै घाव सौं पांजुरो हेक1 तण,
नवै कुटके हुवो वहि गयो नीझरण।
वात
तरै रावळ दूदै घणो वखांणियो, तरै तिलोकसी कह्यो"भली हुई, आज ही वखांगियो।" तरै रावळ कह्यो-"म्हारी दीठ लागै छै ।" सु तिलोकसीरो तिणही वेळा जोव नीसर गयो । माणस १०० रावळ दूदो काम प्रायो। नै रावळ दूदारी बैरां बीजी तो सगळी ही गढ ऊपर ऊंवर कर बळी । एक लखां मांगळिया रांणीरी
.I परन्तु शास्त्र और पुराणोंमें सुनते हैं । 2 क्वारे मनुष्यकी मरने पर गति नहीं होती। 3. आकाशमें क्वार-मग नामक नक्षत्र-समूह (आकाश गंगा) यही सूचित करता है। 4 तव राव दूदाने विचार कर देखा । 5 अच्छा राजपूत है। 6 तब अपनी कन्या धाऊभेछलेको ब्याह दी। 7 सो वह पुत्री दूसरे दिन जव एकादशी थी सती हो गई (धाऊ-भेछलेके साथ जल गई)। 8 चुने हुए । 9 दूसरा भी। 10 प्रहार किया। II सो पांजूको सिमट कर तलवारसे खेलने का अभ्यास था। 12 इकट्ठ कर, समेट कर । 13 कुलाँच, छलांग । -14 नौ टुकड़े होकर गिर पड़ा। 15 एक । 16 शरीर । 17 नौ टुकड़े हो गये और खून का झरना बह गया। 18 बहुत | 19 प्रशंसा की। 20 मेरी नजर लगती है। 21 तिलोकसीका उसी समय प्राण निकल गया। 22 रावल दूदा सौ मनुष्योंके साथ काम आया । 23 और रावल दूदाकी दूसरी तमाम स्त्रियें गढ़ पर जौहर कर के जल गई।