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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ६७ आपरा छोरूवांसू उपरंत किया राखै छै । इणांरै रसोईदार बांभण २ जुदा-जुदा राखिया छै। पछै कमालदी जेसळमेर ले पातसाहरी हजूर अायों ; तरै कपूरै मरहटै पातसाहनूं अरज गुदराई - "कमालदी नै मूळ राज रतनसी भाएला था', सु मूळ राज रतनसी साको कर मुंवा, तरै आपरा" बेटा-भतीजा कमालदीनूं सूपिया छ, सु कमालदी कनै छै ।" पछै कमालदी दरबार आयो तरै पातसाह पूछियो-'थारै घरै रतनसीरा बेटा घड़सी, कानड़, ऊनड़ तीनैई भाई नै देवड़ो १ मूळराज रतनसीरो भाणेज छै, सु प्रांण हाजर कर' ।” तरै कमालदी कह्यो"हजरत ! म्हारै कनै को न छै", हुसी तो वळे खबर करीस11 ।" तरै कमालदी घरै आयो। आयनै घड़सी, कानड़, ऊंनड़, देवड़ो यां च्यारां ही नै ४ च्यार वडा घोड़ा दे नै काढिया, सु औ अठारा नीसरिया नागोररै सकरसर अाया' । सु पातसाह ठोड़-ठोड़ जासूस
मेलिया था, सु घड़सी, कानड़, ऊंनड़, देवड़ो यां च्यारां हीरा ... अहिनांण" लिखिया जु-"इसई अहिनांण छै", तिकारी खबर
करज्यो', अठारौँ नीसरिया छै19 ।" सु झै अठै नागोररा हाकमरै पांनै पड़िया, सु पो लेनै पातसाहरी हजूर जातो थो। पछै निवाज करतानूं घड़सी उणरीहीज तरवारसूं उणरो माथो काटनै उणहीजरै 'घोड़े चढनै नीसरिया सु चांमं आया। आयनै23 पछै कठेक भायांनूं राखने, देवड़े मैंगळदे भाणेजनूं पोहचावणनूं
I अपने पुत्रोंसे भी विशेष समझ कर उनकी रक्षा करती है। 2 इनके लिये । 3 फिर कमालुद्दीन जैसलमेर पर अधिकार करके जव बादशाहके दरबारमें आया। 4 तब कपूर मरहट्ठने बादशाहसे अर्ज की। 5 कमालुद्दीन और मूलराज तथा रतनसी परस्पर मित्र थे। 6 तब। 7 अपने। 8 वे कमालुद्दीनके पास हैं। 9 उनको लाकर हाजिर कर । 10 हजरत ! वे मेरे पास नहीं हैं। II यदि होंगे तो मैं पता लगाऊंगा। 12 आकर के। 13 इन चारों हीको चार बड़े घोड़े दे करके रवाना कर दिया। 14 सो ये यहांसे निकल कर नागोरके सकरसर गांवमें आये। 15 बाहशाहने जगह-जगह जासूस भेज दिये थे। 16 चिन्ह, हुलिया। 17 ऐसे हुलिया वाले हैं। 18 जिनका पता लगाना। 19 यहांसे निकल गये हैं। 20 सो ये यहां नागोरके हाकिमके हाथ लग गये। 21 सो यह उन्हें लेकर के बाद- शाहकी हुजूर जा रहा था। 22 फिर घड़सीने नमाज पढ़ते हुए उस हाकिमका उसीकी 'तलवारसे सिर काट कर उसीके घोड़े पर चढ़ करके रवाना हुआ सो चांमू पाया। 23 आकर के। 24 किसी स्थान पर ।