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मुंहता नैणसीरी ख्यात हूंबीड़ो लूं, कवांण चढाऊं।" तरै घड़सी कह्यो-"बीडोले।" तरै लंणसी बीड़ों लियौ । तरै लूंणगनूं पातसाह कनै ले गया। उठै पातसाह माहला मांडै तेड़ने लंणग प्रागै कवांण नांखी; तरै उठे लूंणग कवांण चढाई। चढायनै एक पातसाहरी सहेलीरै गले में घाती , नै कयो-"हमैं राज जांणो तिण कना कढावज्यो ।" इतरी कहिन लूंणग डेरै आयो । वास' पातसाह जोरावर तिके जांणतो त्यांनी तेड़ाया; पिण' किणहीसूं कबांण निकळी नहीं। तरै वळे' लूंणगनूं हीज तेड़ कवांण कढाई। पछे पातसाह लूंणगसू खुसी हुवो, कहयो-"थारै जोईजै सु मांगा।' तरै लूंणग कहयो-"म्हारै नै म्हारा ठाकुररै चढणनूं घोड़ा निवळा . छ । दोय भैराकी घोड़ा म्हे पावां।" तरै पातसाह आपरी असवारीरा दोय घोड़ा दिया । पछै दिन दोयनं वेढ' हुई; तरै घड़सीनूं लूंणग कहयो-“प्रांपै वेढसूं अलाहिदा रहिस्यां, नै अांपांनूं धरती वाळणी छै। . प्रांपै आगला पातसाहनूं निजरमें राख ठावो करां तो फाइदो छै', सु हमैं वेढ तो प्रांमो-सांमी हुवै छै ।" तिण वेळा घड़सी नै लूणग दोन असवार पाखतीवांणा ऊभा रहया 1; नै आदमी १० आपरांनूं जासूस मेलिया था, जिकां आय कहयो-"सुपेद हाथी, तिणरै ऊपरै अंबारी, तिणरै मोती लटकै, उण अंबारी माहै पातसाह छै ।" तरै पातसाहरा हाथी नजीक आया, तरै बेऊ असवारे घोड़ा उपाड़ . नांखिया, सु लूंणग तो पातसाहरै हाथीनूं झटको वाहयो, सु सूंड
__I आप कहें तो मैं बीड़ा उठा लूं और कमानको चढ़ा दूं। 2 पास । 3 वहां वादशाहने लूणगको भीतरी मंडपमें बुला करके उसके आगे कमान डाल दी। 4 कमान चढ़ा करके वहां खड़ी एक बादशाहकी दासीके गले में डाल दी। 5 और कहा 'अब श्रीमान् जिसको अच्छा शक्तिशाली जाने उससे निकलवा देना। 6 इतना कह करके लूणग अपने डेरे आ गया। 7 जिसके जाने के पीछे। 8 शक्तिशाली 1 9 जिनको। 10 उनको। II बुलवाया। 12 किन्तु । 13 किसीसे भी। 14 फिर । 15 तेरे चाहिये सो मांग। 16 निर्वल। . 17 लड़ाई। 18 अपन अलग रहेंगे, क्योंकि अपनेको अपना देश पुन: प्राप्त करना है। 19 अपन अगले (अाक्रमणकारी) वादशाहको लक्ष्य बना कर आक्रमण करें तो अपनैको लाभ .. है। 20 सो अव युद्ध तो आमने-सामने हो रहा है। 21 उस समय घड़सी और लूणग दोनों . घुड़ सवार एक ओर खड़े रहे। 22 और जिन अपने दस आदमियोंको जासूस बना कर भेजा था। 23 उन्होंने । 24 जिसके। 25 नजदीक । 26 तब दोनों सवारोंने अपने घोड़े उठाये ।