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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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[ ८७ परा करो'।” तरै भोटियां रावळ भेळा हुय लूणकरणनूं कागद मेलियो' । थे वेगा आवो, खारींगरा घोड़ा उरा ल्यो । म्हे आदमी ऊपर छै तिणांनूं कहि राखां छां, थांनूं घोड़ा देसी ।" पछै लूंणकरण, करमसी सिंधसूं प्रजांणजकरा' अठीनूं आयने' मांमा रावत भीमानूं सट मा तेड़िया, सुप्रया । अठीसूं वां प्राय घोड़ा लिया । पछै असवारांरो थंडो वांसै राखियो । सै" असवार २० तथा २५ गै म्हैल ने जेसलमेर सहररी खबर लिराई । कूकवो पड़ियो । तरै जैसिंघदे नरसिंघदास रावळ जैतसीनूं वडेरा भाटियांनूं पूछायो - "कासूं कियो चाहीजे 3?" तरे कह्यो - "इणांरा दांत पाड़िया चाहीजे" " तरै एकवर आपरो साथ लेने बाहर चढिया । वे प्रागै थंडो कर ऊभा रह्या था, देठाळो हुवो, तरै मांमलो हुवो" । जैसिंघदेरै पातळो काळजी थो सु सोह कूट पाड़ियो" । इणां सिरदारांरै लोह लागा 18 1 # नीसरिया ' | लूंणकरण तो पाधरो" सहरनूं चलायो; नै वे तो डावा-जीमणा नीसरिया " । उणारी मावां गढ मांहै हुती, तिणां गढरी प्रोळां ग्राडी दिराई " । पछै रावळ जैतसी जिण भुरजां दिसा धरती नीचे थी, तिणां दिसा रांदू नखाय नै लूंणकरण करमसीनूं नै इणांरो साथ गढ ऊपर चाढियो । रावळ जैतसीरी दुहाई फेरी । नै I लूणकरणको बुलाओ और इनको निकाल दो । 2 तब भाटियों और रावलने मिल कर लूणकरणको पत्र लिख भेजा । 3 तुम शीघ्र या जानो । 4 खारींगमें जो घोड़े हैं उन्हें ले लो (खारींगचरागाह) । 5 घोड़ोंकी रखवालीके लिये जो ग्रादमी वहां पर हैं, उन्हें हम कह रखते हैं, वे तुम्हें घोड़े दे देंगे । 6 अचानक | 7,8 इधर आकर के अपने मामा रावत भीमाको सीमा (निश्चित स्थान ) पर बुला लिया और वे वहां आये । 9 कुछ सवारों की टुकड़ी पीछे रख दी । 10 सभी । II भेज कर । 12 हल्ला हुआ । 13 क्या करना चाहिये ? 14 इनके दांत तोड़ देने चाहियें । IS तब एकाएक चढाई कर दी । 16 आगे वे भी ( लूणकरण और करमसी) अपना जत्था बना कर खड़े ही थे, आमने-साम्हने हुए और वहीं लड़ाई हुई । 17 जयसिंहदे कमजोर दिलका था, उसे और उसके सभी साथियों को मार गिराया । 18 इधरके सरदारोंके भी घाव लगे । 19,20,21 ये दाहिनेबांयें (इधर-उधर ) होकर निकल भागे और लूणकरण तो सीधा शहरकी ओर चला । 22 उनकी ( जयसिंहदे, नरसिंहदास श्रादिकी) माताएं गढ़में थीं, उन्होंने गढके द्वार बंद करवा दिये । 23 लेकिन जो बुर्जे निचाई वाली भूमिमें थीं, जैतसीने उस ओर उन पर रस्सा डलवा कर लूणकरण और करमसीको तथा उनके साथियोंको गढ पर चढा दिया । 24 रावल जैतसीकी आन- दुहाई प्रवर्त कर दी ।
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