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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ४१ परो गयो छै । सोनगरी दिलगीर थकी अावै छै । निसींगड़ी गांवरै तळाव मंडळप कनै प्राय नीसरियो। प्रागै मंडळपरा तळाव मांहै रा ।। नींबो सीमाळोत कसतूरियो मिरध जबादि जळहर झूलै छ । अठ पांणी ऊपर सोनगरीरो पिरा सेझवाळो प्राण ऊभो राखियो छ । सोनगरी प्रापरी छोकरीनूं कह्यो-"झारी तळावथी भर ल्याव ।" तरै छोकरी झारी भर ल्याई । तरै सोनगरी पूछियो-"पांणी मांहै इसड़ी सुवास, इसड़ो तिरवाळो किण भांत पड़े छै ?" तरै छोकरी कह्यो-"अठै तळाव माहै नींबो सीमाळोत कँवर १४० सारीखा मलूक लियां झूलै छ, तिणरी. सुवास छै ।" तरै सोनगरी बळती-जळती जाती थी' पछै छोकरी मेल नींवारी खबर कराई । वात वणाई । पछै उठे सूरनूं कहि डेरो करायो । पछै नींवै सूरमालणनूं सगळा साथ सूधो मारनै सोनगरी, प्राणी । पछै रावळ लखणसेन तो नींबाखू को दावो कियो नहीं ° । नै तठा पछै कितराहेक दिनै रावळ कानड़देरै वळे व्याह मांडियो1; नींवारै कानडदेरी बेटी ऊधळ आई, तिगरी मा रावळ कानड़देरै सुहागण छै', सु ा बैर कानड़देसूं हठे पड़ी, कहै 3-"व्याह ऊपर म्हारी बेटी जमाई तेड़ावो।" तरै कानड़दे तो घणूंही कह्यो-"वे कुण ? म्हे कुण ?" पण बैर रढ मांड रही । तरै नीवासू कहाव कियो । तरै नींबै कह्यो-'म्है बोहत गैर की छै सु पंजूंपायकरा वोल" हुवे तो हूं आऊं ।” पछै पंजूरा बोल दिया । तरै
___ I सोनगरी उदास होकर आ रही है। 2 आगे मंडलप तालाबमें सीमालका बेटा राठौड़ नींवा तालाबके पानीको मृगमदसे सुगंधित करके स्नान कर रहा है । 3 यहां पानीके किनारे सोनगरीकी सेजवाल लाकर ठहरा दी गई है। 4 दासीको। 5 पानीमें ऐसी सुगंध और चिकनाई (तिरमरा) किस बातकी है ? 6 यहां तालावमें नींवा सीमालोत अपने १४० समवयस्क कुमार और मित्रोंके साथ जल-क्रीड़ा करता हुआ नहा रहा है। यह सुगंध उसकी है। 7 तव सोनगरी तो पहलेसे ही जली-भुनी जा रही थी। 8 बात निश्चित की। 9 फिर नींवा सूरमालण और दूसरे साथ वालोंको मार करके सोनगरीको ले आया। 10 फिर रावल लखणसेनने तो (उसकी औरतको भगा कर ले जानेके विरुद्ध) नींबासे कुछ भी झगड़ा-टंटा नहीं किया । II रचा। 12, 13 जिसकी मां रावल कान्हड़देकी मानिनी पत्नी है सो यह स्त्री कान्हड़देसे हठ करके कहती है । 14 परन्तु स्त्री अपनी हठ पकड़े रही। 15 अनुचित। 16 वचन ।